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टैपिंग की घटना ने अमेरिकी आधिपत्य को किया उजागर

हाल ही में, सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में वर्गीकृत दस्तावेज़ लीक हुए हैं, जिनके अमेरिकी सरकार से होने का संदेह है। दस्तावेजों के अनुसार अमेरिकी सरकार न केवल रूस-यूक्रेन संघर्ष में गहन रूप से शामिल है, बल्कि अपने स्वयं के सहयोगियों सहित अन्य देशों की भी बारीकी से निगरानी करना जारी रखती है। इस घटना से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आक्रोश फैल गया है।

चाइना मीडिया ग्रुप यानी सीएमजी के सीजीटीएन द्वारा दुनिया भर के नेटिज़न्स के लिए जारी एक सर्वेक्षण के अनुसार, 94.6 फीसदी उत्तरदाताओं ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर अमेरिकी सरकार के “दोहरे मानकों” के व्यवहार की कड़ी निंदा की, और माना कि यह कदम आधिपत्य का कार्य है। यह घटना “प्रिज्म गेट” घटना के बाद हुई, और अमेरिकी सरकार एक बार फिर दुनिया भर की अन्य सरकारों की दीर्घकालिक और बड़े पैमाने पर चोरी और निगरानी के लिए उजागर हुई है।

सर्वेक्षण में, 91.3 प्रतिशत वैश्विक उत्तरदाताओं का मानना ​​है कि अमेरिकी सरकार की दीर्घकालिक और बड़े पैमाने पर निगरानी कार्यवाहियां की कोई वैधता नहीं है। 92.1 फीसदी उत्तरदाताओं का मानना ​​है कि अमेरिका का कदम अन्य देशों की संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा का घोर उल्लंघन है। इसके अलावा, 91.9 फीसदी उत्तरदाताओं का मानना ​​है कि अमेरिका का यह हरकत वैश्विक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है। 91.7 प्रतिशत उत्तरदाताओं के मुताबिक अमेरिकी सरकार की अवैध निगरानी और गुप्त चोरी की निरंतरता अमेरिका सरकार की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाएगी और अमेरिका दुनिया में अपना विश्वास खो देगा। 

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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