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युद्ध की लपटों में खिलता प्रेम का फूल

9 दिसंबर 1942 को उत्कृष्ट अंतर्राष्ट्रीय सेनानी और चीन में भारतीय चिकित्सा दल के उत्कृष्ट प्रतिनिधि द्वारकानाथ कोटनिस का निधन जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध के दौरान हुआ। चीन के महान नेता माओ त्सेतुंग ने उनके लिये शोक प्रकट करने के लिये ये वाक्य लिखा कि भारतीय मित्र डॉक्टर कोटनिस भारत से चीन को सहायता देने के लिये आए हैं। उत्तर चीन के येनआन क्षेत्र में काम करने के पांच वर्षों के दौरान उन्होंने घायलों को चिकित्सा देने की बड़ी कोशिश की, फिर बीमारी से उनका निधन हुआ। चीनी राष्ट्र ने एक बहुत अच्छे दोस्त को खो दिया है। डॉक्टर कोटनिस की अंतर्राष्ट्रीयता की भावना हम हमेशा याद रखेंगे।

पर बहुत कम लोग यह जानते हैं कि चीन में काम करने के दौरान कोटनिस ने एक चीनी लड़की का प्रेम जीता। जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध के कठोर समय में उन्होंने संयुक्त रूप से एक मधुर और मार्मिक प्रेम कहानी का प्रदर्शन किया।वर्ष 1940 के मई में कोटनिस शांक्सी-चाहर-हबेइ बेस में पहुंचे। वहां उन्होंने स्वागत समारोह में एक भाषण दिया। यह भाषण सुनकर एक लड़की प्रभावित होकर रोने लगी। इस लड़की का नाम था क्वो छिंगलैन। इसके बाद उन्होंने एक साथ काम किया। हर ऑपरेशन के दौरान क्वो छिंगलैन हमेशा ऑपरेशन रूम में कोटनिस की मदद करती थीं। उनकी मदद से कोटनिस का बोझ बहुत कम हो गया।

क्योंकि क्वो छिंगलैन नर्स होने के साथ अंग्रेजी भी जानती थीं, इसलिये वे अक्सर और सीधे कोटनिस के साथ बातचीत कर सकती थीं। खाली समय में दोनों अक्सर बात करते थे और गीत गाते थे। धीरे धीरे दोनों के बीच प्रेम हो गया। फिर 25 नवम्बर 1941 को कोटनिस और क्वो छिंगलैन ने हपेई प्रांत की थांग काऊंटी में स्थित एक साधारण कमरे में शादी की। और 23 अगस्त 1942 को क्वो छिंगलैन ने एक बेटे को जन्म दिया। गौरतलब है कि बच्चे की डिलीवरी कोटनिस ने खुद की थी। इस बच्चे का नाम था इनह्वा, जिसका मतलब हैभारत-चीन”, जो चीन और भारत के बीच गहरी दोस्ती की याद करने के लिये रखा गया।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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