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सूडान में हालात बेहद गंभीर, जारी हिंसा से गहरा सकता है मानवीय संकट: संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायताकर्मियों ने चेतावनी दी है कि सूडान में बढ़ती हिंसा के कारण हजारों लोग खतरे में हैं। यह हिंसा मानवीय संकट को और गंभीर बना रही है।इंटरनेशनल माइग्रेशन ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, एक महीने से भी कम समय में

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संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायताकर्मियों ने चेतावनी दी है कि सूडान में बढ़ती हिंसा के कारण हजारों लोग खतरे में हैं। यह हिंसा मानवीय संकट को और गंभीर बना रही है।इंटरनेशनल माइग्रेशन ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, एक महीने से भी कम समय में, सूडान की राजधानी खार्तूम के दक्षिण में अज जजीरा राज्य में 3,43,000 से अधिक सूडान के नागरिक विस्थापित हो गए हैं। ये नागरिक लगातार बढ़ रही लड़ाई और असुरक्षा के बीच मौजूद हैं।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार उनमें से अधिकांश पड़ोसी राज्यों गेदारेफ और कसाला में भाग गए हैं, जहां संयुक्त राष्ट्र और उनसे साझेदार, मेजबान लोगों के साथ मिलकर भोजन, शेल्टर, हेल्थ केयर, मनोवैज्ञानिक सेवाएं, पानी और स्वच्छता समेत इमरजेंसी सहायता प्रदान करने के लिए काम कर रहे हैं।

मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (ओसीएचए) ने चेतावनी दी है कि अज जजीरा में हथियारों के साथ हो रही हिंसा करीब 10,000 लोगों के जीवन को खतरे में डाल रही है।

कार्यालय द्वारा पिछले सप्ताह किए गए एक आकलन में पाया गया कि गेदारेफ और कसाला में आने वाले विस्थापित सूडान के नागरिक कई दिनों तक पैदल चले थे। अब वे खुले में शरण ले रहे हैं, जिनमें बच्चे, महिलाएं, बूढ़े और बीमार व्यक्ति शामिल हैं।

ओसीएचए ने कहा कि अज जजीरा में लड़ाई से भागे नागरिकों को तुरंत टेंट, प्लास्टिक शीट, हीटर, गद्दे, दवाइयां और भोजन की जरुरत है। विस्थापन की वजह से गेदारेफ में हैजा के मामलों में भी बढ़ोतरी देखी गई है।

इस महीने की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचसीआर) के एक्सटर्नल रिलेशन के डायरेक्टर डोमिनिक हाइड ने कहा, दर्द, क्रूर अत्याचार और व्यापक मानवाधिकार उल्लंघन को डेढ़ साल से अधिक समय हो गया है। हर दिन, हर मिनट, दुनिया के ध्यान से दूर युद्ध और हिंसा से हजारों लोगों की जान चली जाती है।

संयुक्त राष्ट्र के कार्यकर्ताओं ने नागरिकों की सुरक्षा की अपनीअपील दोहराई। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मानवीय कानून के तहत, नागरिकों को जीवित रहने के लिए आवश्यक सहायता को उन तक पहुंचना चाहिए।

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