Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

चीन की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के तेज़ विकास से दुनिया को मिल रहा है लाभ- प्रो. स्वर्ण सिंह

चीन और भारत बड़े विकासशील देश हैं, साथ ही कृषि प्रधान देश भी, दोनों देशों में बहुत समानताएं मौजूद हैं। दोनों राष्ट्र विश्व अर्थव्यवस्था में व्यापक योगदान देते हैं। देश और दुनिया की अर्थव्यवस्था में दोनों देशों की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के योगदान को कम करके नहीं आका जा सकता है। इस मुद्दे पर सीएमजी संवाददाता अनिल पांडेय ने बात की जेएनयू में अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार प्रो. स्वर्ण सिंह से। जो कि भारत के साथ-
साथ चीन को भी अच्छी तरह समझते हैं।

लीजिए पेश हैं प्रो. सिंह के साथ ही हुई बातचीत के मुख्य अंश। स्वर्ण सिंह के मुताबिक भारत और चीन में काफी समानताएं हैं। दोनों ही बड़ी आबादी वाले देश हैं, ऐसे में लोगों को रोजगार मुहैया कराने पर ध्यान देना होता है। इसमें समय के साथ होने वाले तकनीकी बदलावों और विभिन्न क्षेत्रों में लोगों की स्थिति से तालमेल बिठाना पड़ता है। दोनों तरफसे एक-दूसरे से सीखने के लिए बहुत कुछ है। जैसा कि हम जानते हैं कि वैश्विक उत्पादन में चीन का लगभग 28-30 फीसदी योगदान है।

जो कि अपने आप में एक अजूबा है। चीन में तैयार होने वाले अधिकांश उत्पाद दुनिया भर में लोगों द्वारा रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल किए जाते हैं। इसमें सबसे बड़ा योगदान चीन सरकार का यह है कि उसने तकनीक का उत्पादन में अच्छे ढंग से इस्तेमाल किया है। उदाहरण के लिए खिलौनों आदि के उत्पादन के तरीके चीन में थोड़ा अग्रसर हैं। जिससे छोटे-छोटे कस्बों की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है। हालांकि भारत में चीन के मुकाबले पारंपरिक तरीकों पर ज्यादा जोर दिया गया है।

कहा जा सकता है कि दोनों के तरीके अलग-अलग हैं, जाहिर है कि चीन का उत्पादन भारत की तुलना में ज्यादा है। यह भी सच्चाई है कि भारत के छोटे व्यापारी चीन से ही सामान देश में लाकर बेचते हैं। ऐसे में भारत के वैश्विक आयात में चीन का बहुत बड़ा हिस्सा शामिल है। वैसे भारत अपने तरीके से आत्मनिर्भर बनने की कोशिश तो कर रहा है, लेकिन चीन के साथ उसकी हिस्सेदारी को नकारा नहीं जा सकता है।


चीन की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की बात करें तो वहा 1949 से पहले जो क्रांति हुई और नए चीन की स्थापना हुई। उसके बाद कम्यून सिस्टम स्थापित हुआ, जिससे उत्पादन के तौर-तरीकों में बदलाव लाना आसान रहा, जबकि भारत में ऐसा नहीं हुआ। भारत के कृषि उत्पादन आदि में स्थिति और चुनौती कुछ अलग तरह से रही। यह कहने में कोई दोराय नहीं है कि चीन और भारत में कृषि उत्पादन में व्यापक तौर पर बदलाव हुआ है, जिससे उत्पादन में इजाफा दर्ज किया गया है।

चीन की ग्रामीण अर्थव्यवस्था से भारत क्या सीख सकता है, इसके जवाब में प्रो. सिंह कहते हैं कि चीन में जिस तेज़ी से शहरीकरण हुआ है, उससे कई चुनौतियां भी सामने आयीं हैं, भारत को इसे मझना होगा। भारत को भी इसी तरह के दौर से गुजरना पड़ सकता है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि गांवों में रहने वाली आबादी को स्थानीय स्तर पर ही सुविधाएं और रोजगार के मौके उपलब्ध कराए जाएं। ताकि शहरीकरण के नकारात्मक पक्ष से कुछ हद तक बचा जा सके।

(लेखक- अनिल पांडेय)

Exit mobile version