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तकनीकी नवाचार और विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिभाओं को आकर्षित करने और बनाए रखने की है आवश्यकता

जैसे-जैसे वैश्वीकरण आगे बढ़ रहा है और आर्थिक प्रतिस्पर्धा का दबाव बढ़ता जा रहा है, विकासशील अर्थव्यवस्थाएं प्रतिभा पलायन के जोखिम का सामना कर रही हैं। विशेष रूप से उच्च तकनीक, वित्त, चिकित्सा देखभाल और शिक्षा जैसे उद्योगों में, प्रतिभाओं को कैसे आकर्षित किया जाए, प्रतिभाओं को कैसे बनाए रखा जाए और प्रतिभाओं का बेहतर प्रबंधन कैसे किया जाए, यह आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

समय बदलने के साथ-साथ चीन ने कई क्षेत्रों में काफी प्रगति की है। विशेषकर प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हाल के वर्षों में तेजी से हुआ विकास आश्चर्यजनक है। अहम बात यह है कि अधिक से अधिक युवा प्रतिभाएं अब विदेशों में अपना लाभ छोड़ रही हैं और विकास के लिए चीन लौटने का विकल्प चुन रही हैं। जानकारी के अनुसार चीन में तकनीकी अभिजात वर्ग की संख्या 4 करोड़ 20 लाख तक है, जबकि अमेरिका में केवल 4 करोड़ हैं और उनमें से कई चीनी मूल के हैं। इसका मतलब यह है कि चीन के पास तकनीकी प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन ऐसे विशिष्ट लोगों की कमी है जो राष्ट्रीय प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दे सकें।

आंकड़ों के अनुसार चीन दुनिया के सबसे बड़े प्रतिभा बहिर्प्रवाह वाले देश से दुनिया के अग्रणी प्रतिभा वापसी वाले देश में बदल गया है। वर्ष 1978 से 2019 तक, चीन में विदेश में पढ़ने वाले लोगों की कुल संख्या 65 लाख 60 हजार मिलियन तक पहुंच गई और 49 लाख लोगों ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है, जिनमें से 42 लाख 30 हजार लोगों ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद विकास के लिए चीन लौटने का विकल्प चुना है, जो अपनी पढ़ाई पूरी कर चुके लोगों का 86.28% था। बड़ी संख्या में लोग अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद चीन लौट आए हैं, इसका कारण चीन की व्यापक ताकत और अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव में निरंतर सुधार होना चाहिए। चीन तेजी से विकास के दौर में है और युवा प्रतिभाओं के लिए घर लौटना बेहतर विकल्प बन गया है।

अपनी राष्ट्रीय ताकत में जोरदार सुधार करने के अलावा, प्रतिभाओं पर घरेलू जोर भी लगातार बढ़ रहा है। वापस आए विद्वानों को बेहतर वैज्ञानिक अनुसंधान वातावरण और अधिक संसाधन प्रदान करने के लिए फोटोवोल्टिक्स और सेमीकंडक्टर जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में वैज्ञानिक अनुसंधान में निवेश बढ़ाएं। साथ ही, चीन लौटने वाले छात्रों को घरेलू पंजीकरण, बच्चों, चिकित्सा देखभाल और सामाजिक सुरक्षा जैसी व्यावहारिक समस्याओं को हल करने में भी मदद करता है, ताकि वे बिना किसी चिंता के अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा कर सकें।

यह देखा जा सकता है कि विभिन्न विकासशील आर्थिक समुदाय अब प्रतिभाओं को आकर्षित करने और बनाए रखने के लिए हर तरह की कोशिश कर रही हैं। भारत में, प्रतिभाओं के बड़े पैमाने पर बहिर्वाह ने भारत को भारी नुकसान पहुंचाया है, भारत के सामाजिक और आर्थिक विकास को गंभीर रूप से बाधित किया है और भारत की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मकता के सुधार को भी प्रभावित किया है। ब्रेन ड्रेन को ब्रेन रिटर्न में बदलने के लिए, भारत सरकार ने कई जवाबी उपाय अपनाए हैं।

देश में सेवा के लिए प्रतिभाओं को वापस आकर्षित करने के लिए भारत सरकार ने पिछले दशकों में कई “ब्रेन रिटर्न” नीतियां पेश की हैं। 1980 के दशक की शुरुआत में, भारत सरकार ने प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए कंप्यूटर सॉफ्टवेयर नीतियों को प्रख्यापित करने, विज्ञान शहरों के निर्माण में निवेश करने के लिए सरकारी धन स्थापित करने, “सॉफ्टवेयर के माध्यम से देश का कायाकल्प” की रणनीति को लागू करने और “मिलियन सॉफ्टवेयर टैलेंट प्रोजेक्ट” लॉन्च करने जैसे उपाय अपनाए। हाल के वर्षों में, भारत में छोटे पैमाने पर “रिवर्स टैलेंट फ़्लो” भी देखा गया है, और कुछ प्रोग्रामर जो कभी गूगलमें काम करते थे, वे बैंगलोर लौटने लगे। कुछ भारतीय-अमेरिकी तकनीकी प्रतिभाओं की भारत वापसी से भारत की बाजार जीवन शक्ति को और सक्रिय करने में मदद मिलेगी।

आज की अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति में प्रतिभाओं का महत्व स्वयंसिद्ध है। देश का विकास तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की प्रगति प्रतिभाओं से अविभाज्य है। प्रतिभाओं को बेहतर ढंग से कैसे आकर्षित किया जाए, प्रतिभाओं को बनाए रखा जाए और प्रतिभा पलायन को कैसे रोका जाए, ये महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिनका सभी देशों को सामना करने की आवश्यकता है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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