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परमाणु दूषित जल के बारे में दो जापानी झूठों को उजागर करती है यह दुर्घटना

देश-विदेश में कड़े विरोध के बावजूद जापान की टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी ने 2 अक्तूबर को फुकुशिमा परमाणु-दूषित जल के तीसरे चरण का निर्वहन शुरू किया। यह उत्सर्जन 20 नवंबर तक जारी रहने की उम्मीद है और उत्सर्जन की मात्रा लगभग 7800 टन होगी। टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी ने दावा किया कि छोड़े गए परमाणु-दूषित जल में “रेडियोधर्मी सामग्री ट्रिटियम ऐसी सांद्रता में होती है जो अपेक्षा के अनुरूप है।” हालांकि, एक सप्ताह पहले, इस कंपनी में रेडियोधर्मी कचरा फैलने और संदूषण की दुर्घटना हुई थी, और दो कर्मचारियों को अस्पताल ले जाया गया था। इससे साबित होता है कि जापान का दावा है कि परमाणु-दूषित जल “सुरक्षित” है, उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है, और परमाणु-दूषित जल के निपटान में शामिल जोखिमों को कम करके नहीं आंका जाना चाहिए।

जापान की क्योडो समाचार एजेंसी के अनुसार, 25 अक्तूबर को, टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी के पांच कर्मचारी परमाणु-दूषित पानी की मल्टी-न्यूक्लाइड ट्रीटमेंट सिस्टम (एएलपीएस) पाइपलाइन को संभालने के दौरान रेडियोधर्मी सामग्री युक्त अपशिष्ट तरल के संपर्क में आ गए थे। कई घंटों के परिशोधन के बाद, उनके शरीर की सतहों पर विकिरण की मात्रा अभी भी सुरक्षा मानक से नीचे नहीं आयी है। जहां तक ​​दुर्घटना में फैले अपशिष्ट तरल की कुल मात्रा का सवाल है, टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी ने पहले कहा कि यह लगभग 100 मिलीलीटर था, और फिर अनुमान लगाया गया है कि यह लगभग कई लीटर था, जो दर्जनों गुना अधिक था। यह असंगत प्रदर्शन जापान के “असाही शिंबुन” की टिपण्णी की पुष्टि करता है कि जापानी लोगों का टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी के प्रति अविश्वास उसके परमाणु-दूषित जल भंडारण टैंकों से भी अधिक गहरा है।

कई अध्ययनों से पता चला है कि फुकुशिमा परमाणु-दूषित जल में 60 से अधिक रेडियोन्यूक्लाइड हैं। समुद्र में प्रदूषकों के निर्वहन को “उचित” ठहराने के लिए, जापान सरकार और टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी ने हाल के वर्षों में सख्ती से प्रचार किया है कि एएलपीएस द्वारा उपचारित परमाणु-दूषित जल की सुरक्षा मानकों को पूरा करती है। कई वरिष्ठ जापानी अधिकारियों ने भी आंखें खोलकर झूठ बोला और कहा कि परमाणु-दूषित जल “पीने ​​योग्य” है। 

लेकिन तथ्य क्या है? इस साल मार्च में जापान द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार एएलपीएस द्वारा उपचारित परमाणु-दूषित जल का लगभग 70 प्रतिशत निर्वहन मानकों को पूरा नहीं करता है और इसे फिर से शुद्ध करने की आवश्यकता है।

फुकुशिमा प्रीफेक्चर संकट प्रबंधन विभाग के प्रमुख अकीरा सुजुकी ने कहा, “(जापान सरकार के) विभिन्न मंत्रालयों और एजेंसियों के बीच समन्वय और संचार की कमी और भी अधिक चिंताजनक है।” टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी का जापान सरकार के साथ विशेष संबंध है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई वरिष्ठ जापानी अधिकारी सेवानिवृत्ति के बाद टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी के सलाहकार बन गए हैं और परमाणु ऊर्जा उद्योग के लोग भी सरकार के नीति सलाहकार समूह में शामिल होंगे। इससे यह तय होता है कि जापानी निगरानी एजेंसी टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी के कार्यों पर आंखें मूंद लेती है।

अब फुकुशिमा परमाणु-दूषित जल निर्वहन के शुरू होने के बाद दो महीने से ज्यादा समय हो गया है। ताजा दुर्घटना से पता चलता है कि दीर्घकालिक और प्रभावी अंतरराष्ट्रीय निगरानी व्यवस्था स्थापित करना बहुत जरूरी है। जापान को जिम्मेदार तरीके से परमाणु-दूषित जल का निपटान करना चाहिए और सभी हितधारकों की पूर्ण भागीदारी के साथ दीर्घकालिक निगरानी तंत्र की स्थापना का समर्थन करना चाहिए। महासागर मानव जाति का साझा घर है और दुनिया को जापान के स्वार्थ की कीमत नहीं चुकानी चाहिए।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)

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