तिब्बती नववर्ष, जिसे “लोसार के नाम से जाना जाता है, शीत्सांग (तिब्बत) का सबसे महत्वपूर्ण पारंपरिक त्योहार है। यह पर्व न केवल नए वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि तिब्बती संस्कृति, आध्यात्मिकता और सामाजिक सौहार्द्र का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। वर्ष 2025 में, तिब्बती नववर्ष 27 फरवरी से 4 मार्च तक पूरे शीत्सांग में हर्षोल्लास और भव्यता के साथ मनाया जाएगा। यह त्यौहार मुख्य रूप से शीत्सांग, भूटान, नेपाल, भारत और दुनिया भर के तिब्बती बौद्ध समुदायों में मनाया जाता है। आमतौर पर, लोसार फरवरी या मार्च में पड़ता है। तिब्बती नव वर्ष की गणना 127 ईसा पूर्व से की जाती है, वह वर्ष जब यारलुंग राजवंश की स्थापना हुई थी।
तिब्बती नववर्ष की तैयारियाँ कई सप्ताह पहले ही शुरू हो जाती हैं। तिब्बती नव वर्ष के दौरान, लोग घरों को सजाते हैं, पारंपरिक व्यंजन तैयार करते हैं और बौद्ध मंदिरों में प्रार्थना करते हैं। यह त्योहार न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत को भी मजबूत करता है। शीत्सांग के विभिन्न हिस्सों में सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य और संगीत का आयोजन किया जाता है, जो स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों को आकर्षित करता है। इस पर्व का मुख्य आकर्षण नृत्य, संगीत और पारंपरिक खेलों का आयोजन होता है। लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं और अपने प्रियजनों के साथ इस पर्व का आनंद उठाते हैं। तिब्बती लोग “गुटुक” नामक विशेष व्यंजन बनाते हैं, जिसमें आटे की बनी 9 अलग-अलग सामग्री मिलाई जाती हैं, जो समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक होती हैं।
शीत्सांग स्वायत्त प्रदेश में खुशी और शांति का माहौल स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। यह क्षेत्र पिछले कुछ वर्षों में तेजी से विकास कर रहा है, जिसमें बुनियादी ढांचे, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। तिब्बती नव वर्ष के उत्सव इस विकास और समृद्धि को प्रतिबिंबित करते हैं। तिब्बती नववर्ष केवल एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह शीत्सांग की समृद्ध परंपरा, शांति और विकास का भी प्रतीक है। हाल के वर्षों में, शीत्सांग ने आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति की है। आधुनिकता और परंपरा का संगम इस क्षेत्र को और अधिक जीवंत बना रहा है। इस त्योहार के दौरान, सरकार और स्थानीय प्रशासन द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में सांस्कृतिक विविधता और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा दिया जाता है। यह न केवल तिब्बती संस्कृति को संरक्षित करने में मदद करता है, बल्कि राष्ट्रीय एकता को भी मजबूत करता है। आज तिब्बती नववर्ष केवल शीत्सांग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया में तिब्बती समुदाय द्वारा मनाया जाता है।
यह पर्व बौद्ध धर्म के अनुयायियों और संस्कृति प्रेमियों के लिए भी विशेष महत्व रखता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी, यह आयोजन शीत्सांग की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाने और शांति व सद्भाव के संदेश को फैलाने का एक महत्वपूर्ण अवसर बन चुका है। तिब्बती नववर्ष 2025 का यह उत्सव न केवल शीत्सांग के लोगों के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक प्रेरणादायक अवसर है। यह पर्व शांति, सौहार्द्र, सांस्कृतिक समृद्धि और विकास का प्रतीक है। हमें इस अद्भुत परंपरा का सम्मान करते हुए तिब्बती लोगों की खुशी में शामिल होना चाहिए और इस महान सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ाने में योगदान देना चाहिए।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग) (लेखक- देवेंद्र सिंह)