“सुलह का ज्वार” तेज हो रहा है मध्य पूर्व क्षेत्र में

10 मार्च को सऊदी अरब और ईरान के बीच पेइचिंग में शांति वार्ता हुई। पिछले एक महीने में मध्य पूर्व क्षेत्र में अच्छी खबरें सुनने में आयी हैं और वहां “सुलह का ज्वार” तेज हो रहा है। स्थानीय समयानुसार 8 अप्रैल को सऊदी अरब के राजनयिक प्रतिनिधिमंडल ने ईरान की राजधानी तेहरान पहुंचकर दोनों देशों.

10 मार्च को सऊदी अरब और ईरान के बीच पेइचिंग में शांति वार्ता हुई। पिछले एक महीने में मध्य पूर्व क्षेत्र में अच्छी खबरें सुनने में आयी हैं और वहां “सुलह का ज्वार” तेज हो रहा है। स्थानीय समयानुसार 8 अप्रैल को सऊदी अरब के राजनयिक प्रतिनिधिमंडल ने ईरान की राजधानी तेहरान पहुंचकर दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों को फिर से शुरू करने के विवरण पर चर्चा की। इससे पहले दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने पेइचिंग में मुलाकात की और राजनयिक संबंधों की आधिकारिक बहाली की घोषणा की। सऊदी अरब और ईरान पेइचिंग वार्ता के “रोड मैप” और “समय सारिणी” का पालन कर ईमानदारी दिखाकर सुलह के रास्ते में आगे चल रहे हैं।     

सऊदी अरब और ईरान दोनों मध्य पूर्व में बड़ी शक्तियां हैं, जिनके बीच गहरा ऐतिहासिक विवाद मौजूद है। अब चीन के प्रयास से उन्होंने शत्रुता को मित्रता में बदल दिया है और इस क्षेत्र के देशों के लिए बातचीत के माध्यम से संघर्षों को हल करने के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण स्थापित किया है। पिछले एक महीने में,मध्य पूर्वी देशों के बीच अधिक यात्राएं हुईं और संबंधों में सुधार आया है।  

अब सऊदी अरब और ईरान हाथ मिला रहे हैं और शांति स्थापित कर रहे हैं,साथ ही यमन की शांति प्रक्रिया ने भी एक महत्वपूर्ण अवसर की शुरुआत की है। यदि पर्याप्त प्रगति हासिल हुई, तो यह मध्य पूर्वी देशों का स्वतंत्र रूप से बातचीत और परामर्श के माध्यम से आंतरिक मतभेदों को हल करने का एक और सफल उदाहरण बन जाएगा। सीरिया और अरब देशों के बीच आवाजाही को देखें। पिछले महीने सऊदी अरब और सीरिया अपने दूतावासों को फिर से खोलने पर सहमत हुए। 2011 में सीरिया संकट के बाद सऊदी अरब और सीरिया सरकार के बीच संबंध बेहद खराब हो गए थे। 

अरब लीग ने सीरिया की सदस्यता भी निलंबित कर दी।12 साल बीत चुके हैं, और सऊदी अरब और सीरिया के बीच संबंधों में सहजता आयी है। यह इस बात का द्योतक है कि सीरिया अब अरब परिवार में वापस आ सकता है। एक सकारात्मक संकेत यह है कि जब संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति ने पिछले महीने सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल अस्साद की अगवानी की, तो उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि “यह आपको वापस लेने और अरब के गले लगाने का समय है।” तुर्की और मिस्र के बीच संबंधों में भी गर्माहट आ रही है। मार्च के अंत में तुर्की और मिस्र के विदेश मंत्री काहिरा में मिले। यह पहली बार था जब तुर्की ने दस वर्षों से अधिक समय में मिस्र में एक मंत्री अधिकारी भेजा था। दोनों पक्षों ने घोषणा की कि वे उचित समय में द्विपक्षीय संबंधों को राजदूत स्तर तक बहाल करेंगे।

मध्य पूर्व में स्थिति जटिल है, और “सुलह का ज्वार” आसानी से नहीं आया है। कई विश्लेषकों का मानना ​​है कि यह आंतरिक और बाहरी दोनों कारकों का परिणाम है। आंतरिक रूप से मध्य पूर्व के लोग लंबे समय से युद्धों से पीड़ित रहे हैं और शांति के लिए तरसते रहे हैं। बाहर से देखें, हाल के वर्षों में अमेरिका ने मध्य पूर्व से अपनी “वापसी” तेज कर दी है और एशिया-प्रशांत में अपना ज्यादा ध्यान रखा। कई मध्य पूर्वी देशों का मानना ​​है कि वाशिंगटन ने अपने सहयोगियों के लिए अपनी पारंपरिक सुरक्षा प्रतिबद्धताओं को छोड़ दिया है, इसलिए अमेरिका पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। सामरिक स्वायत्तता प्राप्त करने की उनकी जागरूकता में काफी वृद्धि हुई है। इसके साथ रूस-यूक्रेन संघर्ष ने भी मध्य पूर्व के देशों को सतर्क कर दिया है कि उन्हें बाहरी हस्तक्षेप से छुटकारा पाना चाहिए, एकता और सहयोग को मजबूत करना चाहिए, और मध्य पूर्व के भविष्य और नियति को अपने हाथों में रखना चाहिए।

इस प्रक्रिया में किसी का पक्ष न लेने, व्यक्तिगत लाभ की तलाश न करने और गुटों में शामिल न होने के चीन के निष्पक्ष रुख ने मध्य पूर्वी देशों का विश्वास जीत लिया है। चीन की वैश्विक सुरक्षा पहल का मध्य पूर्वी देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने स्वागत किया है। चीन मध्य पूर्व में शांति और विकास की सामान्य प्रवृत्ति का अनुपालन करता है। चीन ने मध्य पूर्व और दुनिया में शांतिपूर्ण विकास की सामान्य प्रवृत्ति को ठीक से समझ लिया है। भविष्य में चीन मध्य पूर्व में सुरक्षा और स्थिरता का प्रवर्तक, विकास और समृद्धि का भागीदार और एकता और आत्म-सुधार का प्रवर्तक बना रहेगा। 

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

- विज्ञापन -

Latest News