मध्य-आय जाल एक व्यापक रूप से प्रसारित अवधारणा है, जिसका अर्थ है कि एक देश अपनी प्रति व्यक्ति आय लगभग 12,000 अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने के बाद सुधार जारी नहीं रख सकता है, और इस प्रकार वह मध्य-आय जाल में फंस जाता है। दक्षिण अमेरिका के कुछ देश वास्तव में इस तरह की दुविधा में पड़ रहे हैं, और इस घटना का मूल कारण यह है कि उन्हों ने कोर प्रौद्योगिकियों में महारत हासिल नहीं किया, और तकनीकी पिछड़ापन उनकी आर्थिक उन्नयन को रोक देता है। इसे मिड-टेक ट्रैप यानी मध्य प्रौद्योगिकी जाल कहा जाता है।
चीन भी एक महत्वपूर्ण क्षण में है जब वह औद्योगिक उन्नयन को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय पुनरोद्धार लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मध्य प्रौद्योगिकी जाल को दूर करने की कोशिश कर रहा है। वर्तमान में, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका एआई और डिजिटल प्रौद्योगिकी द्वारा प्रस्तुत नवीनतम तकनीकी क्षेत्रों में भयंकर प्रतिस्पर्धा में लगे हुए हैं। प्रौद्योगिकी में अपने वर्चस्व को बनाये रखने के लिए अमेरिका ने कई चीनी उच्च-तकनीकी कंपनियों पर प्रतिबंध और नाकेबंदी लगा दी है। अभी तक लगभग 800 चीनी प्रौद्योगिकी कंपनियों को प्रतिबंधित “इकाई सूची” में शामिल किया गया है। उधर “डिकॉउलिंग” और “डी-रिस्किंग” कार्रवाइयों के कारण चीन के सेमीकंडक्टर, एआई और बायोमेडिसिन जैसे अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी क्षेत्रों को गंभीर रूप से प्रभावित किया गया है। हालाँकि चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, लेकिन चीन “0 से 1” मूल प्रौद्योगिकी अनुसंधान और विकास में विकसित देशों से पीछे रहा है, जो चीन के औद्योगिक उन्नयन को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक हैं।
चीन के आर्थिक आधुनिकीकरण को प्राप्त करने के लिए मध्य प्रौद्योगिकी जाल पर काबू पाना एक अपरिहार्य कदम है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से, चीन और भारत सहित विकासशील देशों ने विकसित देशों से उन्नत प्रौद्योगिकियों का आयात करके अपने औद्योगीकरण और औद्योगिक उन्नयन हासिल करने का प्रयास किया है। लेकिन, एक बार जब पश्चिमी देशों को पता चला कि उभरती अर्थव्यवस्थाएँ प्रौद्योगिकी में उनकी स्थिति के करीब पहुँच रही हैं या उससे भी आगे निकल रही हैं, तो उन्होंने हमें तकनीकी उन्नयन की राह पर आगे बढ़ने से रोकने के लिए उपाय करना शुरू कर दिया। हालाँकि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी सभी मानव जाति से संबंधित हैं, और उन्नत प्रौद्योगिकी के निर्माण को सभी मानव जाति के संयुक्त योगदान से अलग नहीं हो सकता है। “0 से 1” तक मूल तकनीकी नवाचार क्षमताओं को विकसित करने के साथ साथ, चीन उच्च तकनीकी स्तरों की ओर बढ़ने के चलते अर्थव्यवस्था के उच्च गुणवत्ता वाले विकास को बढ़ावा देना भी जारी रखेगा।
2021 के आंकड़ों से पता चलता है कि चीन के विनिर्माण उद्योग का अतिरिक्त मूल्य दुनिया का 29.79% है, जो अमेरिका, जापान, जर्मनी, दक्षिण कोरिया और भारत के संयुक्त मूल्य के करीब है। हालांकि, चीनी विनिर्माण उद्योग का तकनीकी स्तर अमेरिका, जर्मनी और जापान जैसे विकसित देशों से पीछे है, कुछ मुख्य प्रौद्योगिकियों और भागों का उत्पादन आयात पर निर्भर है। अमेरिका की प्रौद्योगिकी नाकाबंदी ने चीनी कंपनियों को गंभीर दिक्कत पैदा की है। इस परिस्थिति में, चीन को उन्नत विनिर्माण की तकनीकी प्रक्रियाओं से निपटने के लिए कड़ी मेहनत करते हुए बुनियादी अनुसंधान को मजबूत करना चाहिए। वर्तमान में अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस और जापान जैसी वैज्ञानिक और तकनीकी शक्तियों में शुद्ध बुनियादी अनुसंधान के लिए वित्त पोषण उनके कुल घरेलू अनुसंधान एवं विकास निवेश का 12% से 23% है, जबकि चीन में यह अनुपात केवल 6% है। जैसे-जैसे व्यापक राष्ट्रीय ताकत बढ़ेगी, चीन भी धीरे-धीरे बुनियादी वैज्ञानिक अनुसंधान में अपना निवेश बढ़ाएगा।
उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए, नवीनतम लागू प्रौद्योगिकियों और नई उत्पादक शक्ति के विकास पर ध्यान देना तत्काल व्यावहारिक महत्व है। एक उदाहरण के रूप में ह्यूमनॉइड रोबोट के विकास को लेते हुए, चीनी उद्योग और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने हाल ही में प्रस्ताव दिया है कि 2025 तक, चीन की ह्यूमनॉइड रोबोट नवाचार प्रणाली शुरू में स्थापित की जाएगी, संपूर्ण मशीन उत्पाद अंतरराष्ट्रीय उन्नत स्तर तक पहुंच जाएंगे। 2027 तक, चीन की ह्यूमनॉइड रोबोट प्रौद्योगिकी नवाचार क्षमताओं में काफी सुधार होगा, और व्यापक ताकत दुनिया के उन्नत स्तर तक पहुंच जाएगी। साथ ही, चीन शिक्षा प्रणाली में सुधार के माध्यम से स्वतंत्र सोच क्षमता, रचनात्मकता और कल्पना के साथ बड़ी संख्या में वैज्ञानिक और तकनीकी प्रतिभाओं को विकसित करने का प्रयास करेगा, ताकि मध्य प्रौद्योगिकी जाल से उबरने के लिए प्रतिभाओं की तैयारी कर सके।
(साभार,चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)