तुर्कीः तुर्की के विनाशकारी भूकंप में जब जफर महमुत बॉनकुक की आवासीय इमारत ढह गई, तो उसने पाया कि उसकी 75 वर्षीय मां अभी भी जीवित थीं, लेकिन मलबे के नीचे दबी हुई थी। बॉनकुक ने मलबे से अपनी मां को निकालने में मदद के लिए अंताक्या शहर में घंटों तक खोज की, लेकिन उसे कोई भी नहीं मिला जो उसकी मदद कर सके। वह अपनी मां से बात कर पा रहा था, उनका हाथ पकड़ पा रहा था, उन्हें पानी पिला पा रहा था। हालांकि काफी मिन्नतों के बावजूद कोई भी मदद के लिए नहीं आया और भूकंप के अगले दिन मंगलवार को उसकी मां की मृत्यु हो गई।
तुर्की में कई अन्य लोगों की तरह, बॉनकुक के मन में भी इसको लेकर रोष है कि ऐतिहासिक आपदा के प्रति कार्रवाई अनुचित और अप्रभावी रही है, जिसने वहां और सीरिया में हजारों लोगों की जान ले ली है। बॉनकुक को राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन को लेकर गुस्सा है, खासकर इसलिए क्योंकि उसकी मां की जान बच सकती थी, लेकिन उसे मलबे से निकालने में मदद के लिए कोई नहीं आया। बॉनकुक की मां के शव को इमारत के ढहने के लगभग एक हफ्ते बाद रविवार को निकाला गया। हालांकि बॉनकुक के पिता का शव अभी भी मलबे में दबा है।
बॉनकुक ने चिल्लाते हुए कहा, कि ‘अगर यह आपकी (रजब तैयब एर्दोआन) अपनी मां होती तो? विश्व नेता होने का क्या हुआ? आप कहां हैं? कहां?’’ 60 वर्षीय बॉनकुक ने कहा, कि ‘मैंने उसे पीने के लिए पानी दिया, मैंने उसके चेहरे का मलबा साफ किया। मैंने उससे कहा कि मैं उसे बचा लूंगा। लेकिन मैं असफल रहा।’’ अन्य, विशेष रूप से सीरियाई सीमा के पास दक्षिणी हाते प्रांत में रहने वालों का कहना है कि एर्दोआन की सरकार ने सबसे प्रभावित क्षेत्र को सहायता देने में देरी की और लोगों का मानना है कि इसके पीछे राजनीतिक और धार्मिक दोनों कारण हैं।