Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the rocket domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/dainiksaveratimescom/wp-includes/functions.php on line 6114
अमेरिकी क्रेडिट डाउनग्रेड वाशिंगटन के लिए तिहरी चेतावनी है - Dainik Savera Times | Hindi News Portal
Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

अमेरिकी क्रेडिट डाउनग्रेड वाशिंगटन के लिए तिहरी चेतावनी है

अमेरिका में डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टियां फिर से “लड़ रही हैं”! इस बार ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच ने पहली बार अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग को डाउनग्रेड कर दिया और अमेरिका की दीर्घकालिक विदेशी मुद्रा जारीकर्ता डिफ़ॉल्ट रेटिंग को AAA से घटाकर AA+ कर दिया। खबर सामने आते ही अमेरिका की दो पार्टियों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए। डेमोक्रेटिक पार्टी ने दावा किया कि क्रेडिट डाउनग्रेड “रिपब्लिकन द्वारा कृत्रिम रूप से बनाए गए डिफ़ॉल्ट संकट का परिणाम” था, जबकि रिपब्लिकन पार्टी ने इसका कारण बाइडेन सरकार के आर्थिक मामलों के अप्रभावी संचालन को बताया।
दोनों पार्टियों के बीच झगड़ा एक महत्वपूर्ण कारण की पुष्टि करती है कि फिच ने अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग क्यों कम की। एजेंसी ने एक बयान जारी कर कहा कि पिछले 20 वर्षों में अमेरिका में ऋण सीमा पर बार-बार राजनीतिक गतिरोध हुआ था, और अकसर आखिरी मिनट तक इसे हल किया जाता था, जिसने अमेरिका की वित्त प्रबंधन की क्षमता में लोगों के विश्वास को कम कर दिया है। विश्लेषकों का मानना ​​है कि यह वाशिंगटन प्रशासन के लिए पहली चेतावनी है कि राजनीतिक ध्रुवीकरण के कारण शासन क्षमताएं अपर्याप्त हो गई हैं।
इस साल मई में, फिच ने अमेरिकी सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को नकारात्मक निगरानी सूची में डाल दिया। इस बार आधिकारिक रेटिंग में गिरावट को अमेरिकी सरकार की शासन क्षमता में लगातार गिरावट से निराशा और असंतोष की एक और अभिव्यक्ति के रूप में देखा जा सकता है। एजेंसी को नवंबर 2024 के आम चुनाव तक अमेरिकी सरकार से किसी ठोस राजकोषीय समेकन उपाय की उम्मीद नहीं है।
साथ ही, फिच के बयान में बताया गया कि आगामी तीन वर्षों में अमेरिकी राजकोषीय स्थिति खराब होती रहेगी, और सरकारी कर्ज बढ़ता रहेगा और अभी भी बढ़ रहा है। इसे वॉशिंगटन के लिए दूसरी चेतावनी के तौर पर देखा गया।
अमेरिकी वित्त मंत्रालय की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, 31 जुलाई तक, अमेरिकी सरकार का कर्ज करीब 326 खरब अमेरिकी डॉलर था, जो प्रत्येक अमेरिकी के लिए लगभग 1 लाख अमेरिकी डॉलर के कर्ज के बराबर है। फिच को उम्मीद है कि 2025 तक जीडीपी में अमेरिकी सरकार के ऋण का अनुपात बढ़कर 118.4 प्रतिशत हो जाएगा। जबकि AAA-रेटेड देशों के लिए जीडीपी में औसत ऋण अनुपात 39.3 प्रतिशत और एए-रेटेड देशों के लिए 44.7 प्रतिशत है।
ऐतिहासिक रूप से, यह पहली बार नहीं है जब अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग को डाउनग्रेड किया गया है। 2011 में, एक अन्य रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने अमेरिका को AAA रेटिंग से वंचित कर दिया, क्योंकि अमेरिका में दोनों पार्टियों ने सरकार की उधार सीमा के मुद्दे पर विलंब किया था। लेकिन इस बार स्थिति अलग है। कर्ज़ के पैमाने से देखा जाए, उस समय अमेरिकी सरकार का कर्ज़ पैमाना लगभग 150 खरब अमेरिकी डॉलर था, जबकि आज यह दोगुना हो गया है। अमेरिकी थिंक टैंक कैटो इंस्टीट्यूट ने चेतावनी दी कि अमेरिकी सरकार के ऋण के बढ़ते पैमाने से निजी निवेश बाधित होगा और अचानक वित्तीय संकट का खतरा बढ़ जाएगा, जो अमेरिका के लिए “राष्ट्रीय सुरक्षा” मुद्दा बन जाएगा।
तीसरा चेतावनी संकेत अमेरिका की साख से संबंधित है, जो “डी-डॉलरीकरण” की प्रक्रिया को तेज कर सकता है। अध्ययन से पता चला है कि फिच द्वारा अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग को डाउनग्रेड करने से अधिकांश विकसित बाजारों में महत्वपूर्ण उतार-चढ़ाव आया है, और कई देश दुनिया पर इस निर्णय के नकारात्मक प्रभाव का आकलन कर रहे हैं।
अमेरिकी डॉलर के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनने का कारण सरकार की साख पर निर्भर करता है। एक बार जब साख ख़त्म हो जाती है, तो लोग स्वाभाविक रूप से नए विकल्प चुनेंगे। कुछ समय के लिए, लैटिन अमेरिका से लेकर मध्य पूर्व, अफ्रीका और अन्य महत्वपूर्ण वैश्विक ऊर्जा स्रोतों तक, यूरोप और एशिया-प्रशांत तक, अधिक से अधिक देश पहले ही “डी-डॉलरीकरण” कर चुके हैं या “डी-डॉलरीकरण” करने की योजना बना चुके हैं।
फिच द्वारा अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग कम करने के बाद, कई अमेरिकी सरकारी अधिकारियों ने असंतोष और गुस्सा व्यक्त किया और दावा किया कि यह निर्णय “वास्तविकता के खिलाफ है।” लेकिन गहन विश्लेषण के बाद यह निर्णय अप्रत्याशित नहीं है, यह सिर्फ वास्तविकता को दर्शाता है। अंदरूनी कलह पर समय बर्बाद करने के बजाय, वाशिंगटन के राजनेताओं को यह सोचना चाहिए कि अमेरिकी आर्थिक समस्याओं को कैसे हल किया जाए और अपना चेहरा कैसे बचाया जाए।
(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

Exit mobile version