“यह न केवल वायरस के प्रसार को सीमित करने के लिए बहुत कुछ नहीं करेगा, बल्कि वैश्विक मामलों में वृद्धि के प्रभाव का पूरी तरह से आकलन करने में भी मदद नहीं करेगा,” 6 जनवरी को अमेरिका में संक्रामक रोगों पर प्राधिकरण संस्था यानी अमेरिकी संक्रामक रोग सोसायटी (आईडीएसए) ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर बयान जारी कर चीनी पर्यटकों के प्रवेश पर अमेरिका के प्रतिबंधों पर अपनी आपत्ति व्यक्त की।
केवल आईडीएसए नहीं है, हाल ही में कई महामारी निवारक विशेषज्ञों ने एक साथ आह्वान किया कि चीन पर यात्रा प्रतिबंध लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है। यूरोपीय रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (ईसीडीसी) जैसे पेशेवर संगठनों ने स्पष्ट कर दिया है कि चीन से यात्रियों पर प्रतिबंध लगाना अनुचित है। अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा परिषद (एसीआई) की यूरोपीय शाखा, जो यूरोप में 500 से अधिक हवाई अड्डों का प्रतिनिधित्व करती है, ने भी हाल ही में चीन के खिलाफ प्रवेश प्रतिबंधों की निंदा की।
वहीं, “न्यूयॉर्क टाइम्स” ने 5 जनवरी को कहा कि अमेरिका अब जो कर रहा है, वह ठीक वैसा ही है जैसा कि 2020 की शुरुआत में चीन के खिलाफ यात्रा प्रतिबंध, जो कि एक नस्लवादी नीति है। कोविड-19 का मुकाबला करना एक वैज्ञानिक युद्ध है। लेकिन चीनी पर्यटकों को प्रतिबंधित करने की अमेरिकी नीति इसके विपरीत काम कर रही है। डब्ल्यूएचओ द्वारा 4 जनवरी को जारी की गई खबर के अनुसार, चीनी राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग द्वारा उपलब्ध कराए गए वायरस आनुवंशिक डेटा से पता चलता है कि वर्तमान में, चीन में प्रचलित मुख्य वाइरस स्ट्रेन अन्य देशों द्वारा प्रस्तुत किए गए चीनी यात्रियों से संक्रमित वायरस के जीन अनुक्रम के अनुरूप है, जिसमें कोई नया संस्करण या महत्वपूर्ण उत्परिवर्तन नहीं पाया गया है।
इसके विपरीत, अमेरिका में नए कोरोना संक्रमणों के मौजूदा मामलों में से 40 प्रतिशत से अधिक xbb.1.5 वाइरस स्ट्रेन के कारण होते हैं, जो नंबर एक लोकप्रिय नया वाइरस स्ट्रेन बन गया है। इसलिए, जब वायरस के नए प्रकार को रोकने की बात आती है, तो यह अमेरिका द्वारा लाई गई महामारी के जोखिम के खिलाफ चीन का बचाव है, और चीन इसका शिकार है। महामारी की रोकथाम के लिए सबसे अधिक वैज्ञानिक भावना की आवश्यकता है। यदि इसके विपरीत होगा, तो जरूर बुरा परिणाम मिलेगा। लोगों को याद है कि कोविड-19 महामारी के पिछले तीन वर्षों के दौरान, अमेरिकी राजनीतिज्ञों को राजनीतिक स्वार्थ और पक्षपातपूर्ण लड़ाइयों से ग्रस्त किया गया है, जिन्होंने बौद्धिक-विरोधी टिप्पणी की कि “कीटाणुनाशक इंजेक्शन लगाने से नए कोरोना वायरस को मार सकते हैं”। साथ ही, उन्होंने सच बोलने वाले वैज्ञानिकों को दबा दिया, और विज्ञान व तर्कसंगतता की भावना को बर्बाद किया।
पिछले साल दिसंबर से, अमेरिका ने श्वसन सिंकिटियल वायरस, नए कोरोना वायरस और इन्फ्लूएंजा की तिहरा महामारी का सामना किया है, और देश में चिकित्सा प्रणाली लगभग ध्वस्त हो गई है। इस संबंध में, अमेरिकी सरकार ने न तो कोई राष्ट्रीय कार्रवाई की है और न ही “फेस मास्क आदेश” लागू किया है, वह हमेशा की तरह लोगों के जीवन और स्वास्थ्य के प्रति उदासीन बनी हुई है। लेकिन चीन की महामारी विरोधी नीति के अनुकूलन को देखते हुए, अमेरिकी सरकार अचानक उत्हासपूर्ण हो गई, उसका चीन पर “दोष लगाने” और चीन को बदनाम करने का इरादा स्पष्ट रूप से सामने आया। राजनीतिक हेरफेर करने में संलग्न अमेरिकी राजनीतिज्ञ नहीं भूलिए कि पिछले तीन सालों में विज्ञान के विरोध से अमेरिकी लोगों ने भारी कीमत चुकायी है। 10 करोड़ से अधिक लोग संक्रमित, 10.8 लाख से अधिक मृत, 2.5 लाख नए कोरोना अनाथ इत्यादि। इसके साथ ही, एशियाई लोगों के खिलाफ नस्लीय भेदभाव और नफरत को उकसाया गया है, अमेरिकी समाज गहराई से फटा हुआ है। अमेरिका में महामारी की रोकथाम बुरी तरह विफल रही। यदि अमेरिकी राजनीतिज्ञ विज्ञान-विरोधी रास्ते पर लगातार आगे बढ़ते रहते हैं, तो यह अमेरिकी लोगों के खिलाफ अपराध है, और उन्हें निश्चित रूप से विज्ञान द्वारा दंडित किया जाएगा।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)