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युवा पीढ़ी अमेरिका के प्रति क्यों निराश हो गए?

अमेरिकी राजनेता हमेशा “लोकतंत्र” झंडा बुलंद उठाकर दूसरों का मूल्यांकन किया है, और “लोकतंत्र” या “गैर-लोकतंत्र” के अनुसार बुराई से अच्छा निर्धारित करते हैं। विश्व भर में कई युवा लोगों ने एक बार अमेरिका को लोकतंत्र के प्रतीक के रूप में माना था। लेकिन आज अधिक से अधिक युवा लोगअमेरिकी प्रचार के बारे में अंधविश्वासी नहीं हैं, क्योंकि उन्हें अमेरिकी लोकतंत्र की वास्तविकता साफ साफ लगी है।

ऐसा कथन भी है कि अमेरिका जिसका विरोध करता है वह बुराई है, और जो कुछ भी अमेरिका को अपमानित करता है वह अन्यायपूर्ण है। हालाँकि, देश-विदेश में अमेरिका के विभिन्न व्यवहारों ने स्पष्ट रूप से इसके और सच्ची “लोकतांत्रिक नैतिकता” के बीच की दूरी को प्रदर्शित किया है। उदाहरण के लिए, अमेरिका ने दूसरे देशों में कई सैन्य हमले किये हैं, जिनसे बड़ी संख्या में निर्दोष लोगों की मौत हुई है। दूसरी तरफ घरेलू अल्पसंख्यकों के खिलाफ भी भेदभाव किया गया है।  

सही विचारधारा का मतलब है कि हर कोई कम से कम बुनियादी सुरक्षा और कल्याण के लिए एक सुखी जीवन जी सकता है। लेकिन, क्या “अमेरिकी लोकतंत्र” दुनिया को ऐसे लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद दे सकता है?कई लोगों का “अमेरिका सपना” टूट गया है। यह सच है कि संयुक्त राज्य अमेरिका अभी भी उभरती हुई तकनीकों का केंद्र है, लेकिन जो तकनीकी प्रगति को संचालित करता है वह  लोकतंत्र नहीं है, बल्कि पूंजी है। इससे भी अधिक खतरनाक बात यह है कि सबसे उन्नत तकनीकों का उपयोग अक्सर घातक हथियार बनाने के लिए किया जाता है।

यदि राजनीतिक चुनावों में अक्सर पैसे के आदान-प्रदान से छेड़छाड़ की जाती है, और विरोधियों को दबाने और अफवाहें फैलाने के लिए धन का उपयोग किया जाता है, और यदि “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” का उपयोग झूठी सूचना बनाने, अफवाहें गढ़ने और “कचरा सूचना” को डंप करने के लिए किया जा रहा है, तो इनसे समाज में और अधिक आपदाएँ पैदा की जाएंगी। स्वतंत्रता और लोकतंत्र भी पर्यावरण और समय के द्वारा सीमित हैं। कुछ मिट्टी के लिए उपयुक्त पौधों को जबरन दूसरी भूमि पर लगाने से अक्सर बुरे फल मिलते हैं। इसलिए लोग देखते हैं कि जिन देशों को “लोकतांत्रिककरण” करने के लिए मजबूर किया जाता है, वे अक्सर राजनीतिक अराजकता में पड़ जाते हैं।

हाल के दशकों में अमेरिकी समाज की धीमी प्रगति, विशेष रूप से अफगान आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में अमेरिका की हार ने अधिक से अधिक लोगों को संदेह पैदा कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय संकटों से निपटने के अलावा, संयुक्त राज्य में आंतरिक संघर्ष भी एक के बाद एक उभर रहे हैं। इसी साल में ही इस देश में सौ से अधिक गोलीकांड हुई है, जिनमें बड़ी संख्या में निर्दोष लोग और यहां तक कि बच्चे भी मारे गए हैं। इसके अलावा, रेड इंडिन्यस, अफ्रीकी अमेरिकियों और एशियन लोगों समेत अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव भी निरंतर होता रहा है।

अमेरिका कहीं बेहतर स्थिति में हो सकता है यदि वह विदेश में अपने सैन्य मिशन को बंद कर दे और खरबों के खर्चों को अपने नागरिकों की भलाई के लिए उपयोग करे। और इससे विश्व मंच में उसका अन्य देशों के युवाओं पर प्रभाव भी बहुत बढ़ेगा।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)

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