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Tibet ने बोर्डिंग स्कूल क्यों खोले?

चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में बोर्डिंग स्कूल स्थापित करने के मुख्य कारण हैंपहला, क्योंकि जनसंख्या बिखरी हुई है और आस-पास स्कूल चलाना मुश्किल है; दूसरा, पहाड़ी भौगोलिक वातावरण असुविधाजनक परिवहन का कारण बनता है। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश का क्षेत्रफल 12 लाख वर्ग किलोमीटर है, जो 5 ब्रिटेन और 29 स्विट्जरलैंड के बराबर है। लेकिन वहां की जनसंख्या केवल 36.48 लाख (वर्ष 2021) है, जो ब्रिटन के 5.4 प्रतिशत और स्विट्जरलैंड के 42 प्रतिशत के बराबर है। औसत जनसंख्या घनत्व 3.04 व्यक्ति/वर्ग किलोमीटर है। वास्तव में, ल्हासा जैसे केंद्रीय शहरों को छोड़कर, अधिकांश क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व और भी कम है। ऐसी स्थिति में यदि आस-पास कोई स्कूल चलाया जाता है, तो इसका परिणाम अनिवार्य रूप से एक छोटा स्कूल होगा।

वर्ष 1978 में चीन के सुधार और खुलेपन से पहले, तिब्बत के प्रत्येक गाँव में एक प्राइमरी स्कूल था, स्कूलों की कुल संख्या 6,819 थी। प्रत्येक स्कूल में औसतन 38.5 छात्र थे, और प्रत्येक कक्षा में केवल 10 से कम छात्र थे। जब स्कूल छोटा होता था, तो प्रत्येक कक्षा और प्रत्येक पाठ्यक्रम के लिए पेशेवर शिक्षक उपलब्ध कराना मुश्किल होता था, और प्रत्येक शिक्षक को कई विषय पढ़ाना पड़ता था। चूँकि शिक्षण पेशेवर नहीं था, इसलिये शिक्षण की गुणवत्ता उच्च नहीं थी। इसलिए, केवल बोर्डिंग स्कूलों के माध्यम से छात्रों को इकट्ठा करके ही शैक्षिक संसाधनों को एकीकृत किया जा सकता है और छात्रों को व्यावसायिक शिक्षा प्रदान की जा सकती है।

दूसरा कारण यह है कि तिब्बत का भौगोलिक वातावरण बहुत खास है। ज्यादातर जगहों पर ऊंचे पहाड़ और गहरी घाटियां हैं, जिससे यात्रा करना बहुत मुश्किल हो जाता है। हालाँकि तिब्बत ने 120,000 किलोमीटर लंबी सड़कें बनाई हैं, लेकिन यात्रा के खतरों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इसलिए, केवल छात्रों को स्कूल में रहने की अनुमति देकर और हर दिन पहाड़ी सड़कों पर चलने से बचने से स्कूल जाते समय छात्रों के लिए सुरक्षा जोखिमों को कम किया जा सकता है। बोर्डिंग शिक्षा तिब्बत की वास्तविक स्थितियों से मेल खाती है, आधुनिक शिक्षा के नियमों का अनुपालन करती है, जो छात्रों और परिवारों के लिए सबसे फायदेमंद स्कूली शिक्षा मॉडल है। वास्तव में, पश्चिमी चीन में तिब्बत के समान प्राकृतिक वातावरण वाले कई स्थानों में बोर्डिंग शिक्षा अब विकसित की जा रही है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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