इन दिनों पूर्वोत्तर चीन के हेइलोंगच्यांग प्रांत की राजधानी हार्पिन में 9वें एशियाई शीतकालीन खेलों का आयोजन हो रहा है, जिसमें मेजबान चीन के अलावा भारत, जापान व दक्षिण कोरिया सहित कई देशों के एथलीट हिस्सा ले रहे हैं। आइस सिटी के रूप में लोकप्रिय हार्पिन पहुंचे भारतीय एथलीट और दल के सदस्य यहां की व्यवस्था और माहौल से बेहद संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा कि चीन ने जिस तरह का शानदार आयोजन किया है, उससे भारत व अन्य देशों को सीखने की आवश्यकता है।
भारतीय महिला आइस हॉकी टीम की खिलाड़ी और इस बार पुरुष हॉकी टीम की लीडर के रूप में चीन आयीं नूरजहां हार्पिन में खेलों के आयोजन के स्तर और सुविधाओं से काफी खुश हैं। उन्होंने सीजीटीएन हिंदी के साथ इंटरव्यू में कहा कि भारतीय पुरुष आइस हॉकी टीम ने 9वें एशियाई शीतकालीन खेलों के लिए क्वालिफाई किया, इसके कारण टीम यहां पहुंची है। जबकि भारतीय महिला आइस हॉकी टीम शीर्ष 8 टीमों में शामिल नहीं है, ऐसे में उसे हार्पिन में खेलने का मौका नहीं मिला। क्योंकि आइस हॉकी में रैंकिंग के हिसाब से टीमें प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती हैं।
पहली बार चीन आयीं नूरजहां कहती हैं कि हार्पिन बहुत ही सुंदर जगह है। उनके मुताबिक, भारतीय दल के कई सदस्य ऐसे हैं जिन्हें पहले कभी चीन आने का अवसर नहीं मिला। वे यहां की शानदार व्यवस्था और मेजबानी देखकर बहुत प्रभावित हुए हैं। लोगों का व्यवहार उनके प्रति बहुत ही दोस्ताना है और लोग काफी अच्छे हैं। नूरजहां ने कहा कि वह आयोजकों को बधाई देना चाहती हैं कि उन्होंने एशियन विंटर गेम्स को शानदार तरीके से आयोजित किया है। चाहे एथलीटों और टीम के सदस्यों के ठहरने की व्यवस्था हो या अन्य हर क्षेत्र में व्यवस्था बहुत अच्छी है। वास्तव में हम चीन से सीखने की जरूरत है कि इस तरह के खेलों को किस तरह आयोजित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हार्पिन में चल रहे इन गेम्स को लेकर भारतीय खिलाड़ी उत्साहित हैं। जैसा कि भारतीय पुरुष आइस हॉकी टीम पहली बार विंटर एशियन गेम्स में हिस्सा ले रही है। हमारी टीम ने कुछ मैच खेल लिए हैं और अभी कुछ और बाकी हैं। हालांकि भारतीय टीम की रैंकिंग बहुत नीचे है। वैसे आइस हॉकी भारत में बहुत समय से खेला जा रहा है। लेकिन अभी भारत में हमारे पास इस स्तर का इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। साथ ही, आइस हॉकी को लेकर इतने बढ़िया विकास कार्यक्रम नहीं हैं।
लेकिन हम यह भी देख रहे हैं कि हमें क्या करना चाहिए। हमें यहां विभिन्न टीमों और खेलों को देखकर प्रेरणा मिलेगी। हमें यहां हिस्सा लेने से आगे और अच्छा करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। ताकि भारत में आइस हॉकी के स्तर को बेहतर बनाया जा सके। हमें एशियाई शीतकालीन खेलों में हिस्सा लेकर एशिया की बड़ी टीमों को देखने और उनके साथ खेलने का मौका मिला है, यह हमारे लिए सपना पूरा होने जैसा है। अगली बार जब हम आएंगे तो जीतने की भी पूरी कोशिश रहेगी।
बता दें कि भारतीय टीम ने हांगकांग के साथ अपना पहला मैच खेला, हालांकि उसमें जीत हासिल नहीं हुई। जबकि तुर्कमेनिस्तान के खिलाफ़ भी भारतीय टीम को हार का मुंह देखना पड़ा। लेकिन संतोष की बात है कि भारतीय पुरुष आइस हॉकी टीम मकाओ की टीम को 4-2 से हराने में कामयाब हुई।
(अनिल पांडेय, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)