इंटरनेशनल डेस्क: दुनियाभर में हर साल मार्च में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के लिए अलग-अलग आयोजन हुए, जिसमें चीन और भारत जैसे प्रमुख देश भी शामिल रहे। बीते कुछ दशकों में आधी आबादी ने पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवाया है। महिलाएं आकाश की ऊंचाईयों को छू रही हैं, मर्दों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर वह घरों से लेकर बड़ी-बड़ी कंपनियों में और राजनीति से लेकर व्यापार तक हर जगह दस्तक देती नजर आ रही हैं। चीन और भारत जैसे बड़े देशों में भी महिलाओं की उपस्थिति आज हर जगह दिख रही है, महिलाएं हर काम में न केवल योगदान दे रही हैं बल्कि देश के संचालन में भी अपनी भूमिका निभा रही हैं।
चीन की संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व
चीन में महिलाओं ने सामाजिक स्तर पर अपना योगदान बढ़ाया है। चीनी सरकार में आज कई अहम पदों पर महिलएं बैठी हैं तो देश की संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व लगभग 25 प्रतिशत हैं, जो वैश्विक औसत से भी ज्यादा है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में महिलाओं ने चीन के निर्माण में अहम भूमिका निभाई है।
आज अगर चायना दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है तो इसमें चीन की महिलाओं की अहम भूमिका है, महिलाओं ने चीन के निर्माण, सुधार और विकास में अपना पूरा योगदान दिया है, यही वजह है कि चीन के निरंतर विकास में चीनी महिलाओं के स्थान में बड़ा बदलाव दिखा है। चीनी में वैज्ञानिक और तकनीकी श्रमिकों में महिलाओं की हिस्सेदारी 47 प्रतिशत से ज्यादा हो चुकी है, जबकि शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी महिलाएं चायना अग्रणी स्थान में हैं।
भारत के सबसे बड़े पद पर महिला प्रतिनिधि
वहीं चीन की तरह भारत में भी महिलाओं की स्थिति में तेजी से बदलाव आया है। आज भारत की प्रमुख एक महिला ही है। द्रौपदी मुर्मू भारत की राष्ट्रपति हैं, जबकि संसद में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव में 74 महिला सांसद चुनी गई थी, जबकि भारत के 29 राज्यों में से 2 राज्यों में महिलाएं मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी निभा रही हैं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं।
तो भारत की राजधानी दिल्ली में रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री की कमान सौंपी गई है, जबकि भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के राज्यपाल की जिम्मेदारी आनंदी बेन पटेल के पास है, तो भारत में वित्त विभाग की जिम्मेदारी भी महिला ही देख रही है, भारत की वित्तमंत्री की जिम्मेदारी निर्मला सीतारमण के पास है। राजनीति, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार से खेलों तक में भारतीय महिलाओं का दमखम पूरी दुनिया ने देखा है। भारत में शहरी से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में भी महिलाओं की स्थिति में काफी सुधार हुआ है।
चीन और भारत में दिख रहा महिलाओं का दमखम
चीन और भारत में महिलाओं का दमखम आज पूरी दुनिया देख रही है। भारत में महिलाएं, कृषि, आईटी, स्वास्थ्य और स्टार्टअप्स में पॉवरफुल हैं तो इसी तरह चीन में तकनीक, व्यापार, स्वास्थ्य और मैन्युफैक्चरिंग में महिलाओं का योगदान सबसे अहम है। दोनों देशों में कृषि की 40 प्रतिशत के आसपास की जिम्मेदारियां महिलाओं के हिस्से में है, जबकि छोटे व्यापार में महिलाओं की अहम भूमिका है, क्योंकि चायना और भारत जैसी बड़ी आबादी वाले देशों में महिलाओं की उपयोगिता अहम मानी जाती है।
चीन और भारत में एक समय महिलाओं की शिक्षा पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता था, लेकिन आज दोनों देशों में महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा अपनी पढ़ाई पूरी कर रही है। जबकि शहरों में जाकर जॉब करना आज के वक्त में महिलाओं की पहली पसंद है, यानि भारत और चीन में महिलाएं आज अपने पैरों पर खड़ी हो चुकी हैं।
नौकरी के साथ परिवारों की जिम्मेदारी निभाती महिलाएं
चीन और भारत में महिलाओं ने अपनी जिम्मेदारियां वक्त के साथ और बढ़ाई है। कभी घरों के कामकाज तक सीमित रहने वाली महिलाएं आज न केवल नौकरियां और व्यापार करती है, बल्कि परिवार भी संभालती हैं। भारत और चीन में ऐसी महिलाओं की कमी नहीं है जो फैक्ट्रियों में काम करती हैं और सिंगल रहते हुए शहरों की फैक्ट्रियों में काम करती हैं, वे अपनी कमाई से अपने पैरेंट्स का सहारा बनती हैं बल्कि अपने सपने भी पूरे करती हैं। भारत में और चीन में सेल्फ महिला के पैसों का उपयोग भाई-बहनो की पढ़ाई और उनकी शादी का खर्च उठाने में होता है। क्योंकि महिलाओं ने अपनी लाइफ पूरी तरह से बदली हैं।
चीन और भारत में बढ़ते महिलाओं के अधिकार
भारत और चीन में महिलाओं के अधिकारों में भी तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। दोनों देशों में महिलाओं के संरक्षण कानून के लिए कई कानून है। जबकि ‘घरेलू हिंसा अधिनियम’ जैसे कानून भारत और चीन में महिलाओं को सुरक्षा देते हैं। खास बात यह है कि कभी चीन और भारत दोनों ही देशों में महिलाओं की लैंगिक समानता में काफी अंतर दिखता था। लेकिन अब यह असामनता लगभग खत्म हो चुकी है।
चीन आज 49 प्रतिशत महिलाएं हैं जबकि 2011 की जनगणना के हिसाब से भारत में भी महिलाएं 48 प्रतिशत से ज्यादा हैं, केरल भारत का ऐसा राज्य हैं जहां पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं ज्यादा हैं। मतदान की प्रक्रिया में भी दोनों देशों में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है।
हालांकि महिलाओं की समानता के लिए अभी भी बहुत काम बाकि है, लेकिन इतना कहा जा सकता है कि चीन और भारत जैसे बड़े देशों में महिलाओं की आने वाले वक्त में भमिका और बढ़ने वाली है। क्योंकि महिलाओं की सामाजिक स्थिति, समाज में उनके योगदान के साथ-साथ दोनों देशों की राजनीति में भी महिलाओं की उपयोगिता बढ़ेगी जो आने वाले समय में चीन और भारत जैसे बढ़ते देशों के लिए फायदेमंद ही रहेगा।
(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग) (लेखक—दिव्या तिवारी)