Work Together For Interests World : वर्ष 2024 अशांत के साथ अतीत की बात बन गया है, जबकि आशा से भरा वर्ष 2025 फिर से हमारे सामने आ रहा है। नया साल आने के मौके पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी सीजीटीएन के माध्यम से पूरी दुनिया को शुभ शुभकामनाएं भेजीं। नया साल भी चीन और भारत के बीच संबंधों का विकास करने की नयी संभावनाएं अर्पित करता है। हाल ही में, चीन और भारत के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि चीन और भारत के बीच संबंधों में सुधार न केवल दोनों देशों के बुनियादी हितों में है, बल्कि वैश्विक दक्षिण के देशों की अपेक्षाओं और हितों के अनुरूप भी है। चीन और भारत के साझा हित उनके मतभेदों से कहीं अधिक हैं। दोनों देशों को एक-दूसरे के विकास को अवसर मानना चाहिए और एशिया के विकास को बढ़ाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
एक तथ्य है कि विदेशों में रहने वाले चीनी और भारतीय मूलों सहित, चीन और भारत इन दो प्रमुख जातीय समूहों की आबादी लगभग तीन अरब है, जो वैश्विक आबादी का 40% है। चीन-भारत मित्रता और आपसी समझ को बढ़ावा देने और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने का विशेष महत्व होता है। चीन और भारत की दोस्ती से न सिर्फ तीन अरब लोगों को सीधा फायदा होगा, बल्कि पूरी दुनिया की शांति, स्थिरता और समृद्धि को भी काफी बढ़ावा मिलेगा। वर्तमान दुनिया में, शांतिपूर्ण विकास दुनिया भर के लोगों की अपेक्षाओं के अनुकूल है। एशिया न केवल दुनिया की अधिकांश आबादी का घर है, बल्कि यह दुनिया में सबसे तेज़ आर्थिक विकास और उभरती प्रौद्योगिकियों की सबसे मजबूत विकास गति वाला क्षेत्र भी है। चीन और भारत के बीच शांतिपूर्ण और मैत्रीपूर्ण संबंध और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बनाए रखना एशिया में सहयोग और वैश्विक विकास को बढ़ावा देने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
उधर, आर्थिक वैश्वीकरण को प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। कुछ लोग हमेशा अंतरराष्ट्रीय उत्पादन आपूर्ति श्रृंखला और उन्नत प्रौद्योगिकी से प्रतिस्पर्धियों को बाहर करने का प्रयास करते रहते हैं। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि वे चीन जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के खिलाफ काम कर रहे हैं। जहां तक भारत की बात है तो वे लड़ने और खींचने दोनों तरीके अपनाते हैं ताकि भारत को अपने खेमे में लाया जा सके। उनका उद्देश्य यह है कि भारत को उन के लिए एक उत्पाद आपूर्तिकर्ता बनाना है, पर जब भारत उनके आदेशों का पालन नहीं करता है तो भारत के खिलाफ भी दबाने की कोशिश की जाती है। हालाँकि, वैश्वीकरण ही दुनिया के सभी देशों के हितों और मानव विकास की दिशा के अनुरूप है। देशों को अलग-अलग खेमों में बाँटना पुरानी शीत युद्ध मानसिकता है और यह मानव समाज के स्वस्थ विकास की दिशा का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है। वर्तमान में, दुनिया में एकतरफावाद और संरक्षणवाद फैलने के बावजूद नई उत्पादक शक्तियों के विकास की गति अजेय है, वैज्ञानिक और तकनीकी क्रांति का एक नया दौर मजबूत गति पकड़ रहा है। तथ्यों से साबित है कि सिर्फ वैश्वीकरण के बैनर तले अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देकर ही सभी एशियाई देशों के साझा हितों की पूर्ति की जा सकती है। उभरती अर्थव्यवस्थाओं में दो सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं के रूप में, चीन और भारत को आर्थिक वैश्वीकरण की सामान्य प्रवृत्ति का पालन करना चाहिए, संयुक्त रूप से विश्व अर्थव्यवस्था के स्थिर और दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा देना चाहिए।
वर्तमान में, चीन नवाचार-संचालित विकास के माध्यम से उद्योगों के परिवर्तन और उन्नयन को बढ़ावा दे रहा है। विश्व अर्थव्यवस्था की वृद्धि में चीन का योगदान कई वर्षों से 30% से ऊपर बना हुआ है। साथ ही, प्रतिकूल राजनीतिक माहौल में भी चीन-भारत व्यापार तेजी से बढ़ गया है। डिजिटल प्रौद्योगिकी नवाचार के माध्यम से औद्योगिक उन्नयन को बढ़ावा देने में चीन की उपलब्धियां विश्व अर्थव्यवस्था में मजबूत प्रोत्साहन लाएगी और चीन-भारत आर्थिक सहयोग के लिए विशाल स्थान का विस्तार करेगी। चीन “वैश्विक दक्षिण” के देशों की आवाज़ को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि विकासशील देशों को विश्व अर्थव्यवस्था में समान अधिकार की गारंटी की जाए, और दुनिया के सभी लोगों को आर्थिक और तकनीकी विकास के फल साझा करने की अनुमति दी जाए। यह न केवल भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों के लोगों के हित में है, बल्कि भारत द्वारा वकालत की गई अवधारणा के अनुरूप भी है।
चीन का विकास दुनिया से अविभाज्य है और इससे निश्चित रूप से दुनिया के सभी देशों को लाभ होगा। चीन का उच्च गुणवत्ता वाला विकास निश्चित रूप से पड़ोसी देशों के लिए बड़े व्यापारिक अवसर लाएगा। एशिया में तेजी से बढ़ते आर्थिक विकास के समय, चीन और भारत इन दो प्रमुख पड़ोसी देशों को मानव जाति के साझा भविष्य वाले समुदाय के निर्माण को बढ़ावा देने तथा एशियाई सदी के महान लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक साथ काम करना चाहिये।
नया साल मुबारक!
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)