77वीं विश्व स्वास्थ्य संगठन महासभा 27 मई को जेनेवा में उद्घाटित हुई ।इस महासभा ने फैसला लेकर विभिन्न देशों द्वारा प्रस्तुत तथाकथित थाईवान को पर्यवेक्षक के रूप में डब्ल्यूएचओ महासभा में भाग लेने का निमंत्रण देने संबंधी प्रस्ताव एजेंडा में शामिल कराने से इंकार किया।
यूएन जेनेवा कार्यालय और स्विट्जरलैंड में अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में तैनात चीनी प्रतिनिधि छन शू ने महासभा में भाषण देकर कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन में चीन के थाईवान क्षेत्र की हिस्सेदारी पर चीन का पक्ष निरंतर और स्पष्ट है यानी एक चीन सिद्धांत के मुताबिक इस का निपटारा करना है। यह यूएन प्रस्ताव 2758 और विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रस्ताव 25.1 में पुष्ट किया गया बुनियादी सिद्धांत है। डेमोक्रेटिक प्रोग्रैसिव पार्टी के नेतृत्व वाला थाईवानी प्रशासन तथाकथित थाईवानी स्वतंत्रता पर अड़ा रहता है ,जिससे विश्व स्वास्थ्य संगठन में थाईवान क्षेत्र की भागीदारी का राजनीतिक आधार मौजूद नहीं है।
छन शू ने कहा कि चीन की केंद्रीय सरकार हमेशा थाईवानी बंधुओं की स्वास्थ्य व कल्याण का ख्याल रखती है और एक चीन सिद्धांत के अनुरूप होने की पूर्वशर्त में वैश्विक स्वास्थ्य मामले में थाईवान की हिस्सेदारी के बारे में समुचित प्रबंध किया है। थाईवान में “अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियम” संपर्क केंद्र स्थापित है। उसके लिए डब्ल्यूएचओ से जारी सूचनाएं प्राप्त करने का सुचारू माध्यम है। थाईवानी चिकित्सक व विशेषज्ञ निजी हैसियत से डब्ल्यूएचओ की तकनीकी गतिविधियों में भाग ले सकते हैं।
छन शू ने बल दिया कि डब्ल्यूएचओ ने लगातार कई साल तक तथाकथित थाईवान संबंधी प्रस्ताव से इंकार किया है। एक अरसे से सौ से अधिक देशों ने खास तौर पर डब्ल्यूएचओ महानिदेशक को पत्र लिखकर चीन के पक्ष का समर्थन व्यक्त किया। इससे जाहिर है कि एक चीन सिद्धांत आम रूझान है।
(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)