विश्व बचत दिवस: खाने की बर्बादी को ना कहें

31 अक्टूबर को विश्व बचत दिवस है, इस की स्थापना वर्ष 2006 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई थी। इस दिवस का उद्देश्य लोगों से परिश्रम और बचत का आह्वान करना और तेजी से गंभीर होते संसाधन संकट पर संयुक्त रूप से निपटते और समाज के स्वस्थ और अनवरत विकास को बढ़ावा देना है। परिश्रम.

31 अक्टूबर को विश्व बचत दिवस है, इस की स्थापना वर्ष 2006 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई थी। इस दिवस का उद्देश्य लोगों से परिश्रम और बचत का आह्वान करना और तेजी से गंभीर होते संसाधन संकट पर संयुक्त रूप से निपटते और समाज के स्वस्थ और अनवरत विकास को बढ़ावा देना है।

परिश्रम और बचत चीनी राष्ट्र के पारंपरिक गुण हैं। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 18वीं राष्ट्रीय कांग्रेस के बाद से चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग अनाज सुरक्षा को बहुत महत्व देते हैं। और पूरे समाज में “सख्त बचत और बर्बादी के विरोध” की प्रवृत्ति की वकालत की है। कई भाषणों में उन्होंने खाने की बर्बादी रोकने की जरूरत पर जोर दिया। खाद्य की बचत चीन में अनाज को अधिक सुरक्षित बनाती है।

1.4 अरब चीनी लोगों को खाना खिलाने की समस्या का समाधान पहले से ही “दुनिया का चमत्कार” है। उपभोग के निरंतर उन्नयन की प्रक्रिया में, खाद्य की मांग और संसाधनों व पर्यावरण पर दबाव भी बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में, अनाज बचाने का मतलब उत्पादन बढ़ाना है।

“2023 चीनी कृषि उद्योग विकास रिपोर्ट ” के अनुसार, 2035 तक, यदि चीन की अनाज की फसल, भंडारण, प्रसंस्करण और खपत की हानि दर क्रमशः 1 से 3 प्रतिशत अंक कम हो जाती, तो तीन प्रमुख अनाज की हानि दर 40 प्रतिशत कम हो सकती है, जिससे तीन प्रमुख अनाज का नुकसान लगभग 110 अरब किलोग्राम कम हो सकता है। जो “भूमि के बिना उत्पादन बढ़ाना” वाला लक्ष्य हासिल करता है।

वहीं, अनाज बचाने का मतलब भूमि, पानी और उर्वरक को बचाना है, पारिस्थितिकी की रक्षा और उत्सर्जन और कार्बन उत्सर्जन को कम कर सकता है। इस के अलावा, खाद्य सुरक्षा का निरंतर विकास सुनिश्चित करने के लिए उत्पादन बढ़ाने और घाटे को कम करने के दोनों प्रयासों में सभी लोगों की जिम्मेदारी की आवश्यकता है।

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