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चीन के वैश्विक प्रभाव को बढ़ाएगी जीरो टैरिफ पॉलिसी, विकासशील देशों को मिलेगी आर्थिक मजबूती

जीरो टैरिफ पॉलिसी दुनिया भर के देशों के साथ विकास के अवसरों को साझा करने के लिए चीन के इरादों को दिखाता है।

चीन ने 1 दिसंबर 2024 से अल्प विकसित देशों (LDC) के उत्पादों पर जीरो टैरिफ लागू करना शुरू कर दिया है। इस तरह की पहल करने वाला चीन दुनिया का पहला देश बन गया। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 5 सितंबर 2024 को चीन-अफ्रीका सहयोग फोरम के बीजिंग शिखर सम्मेलन में मुख्य भाषण के दौरान जीरो टैरिफ पॉलिसी का ऐलान किया था। जीरो टैरिफ पॉलिसी दुनिया भर के देशों के साथ विकास के अवसरों को साझा करने के लिए चीन के इरादों को दिखाता है। साथ ही साथ ये चीन के विकास के माध्यम से दुनिया के लिए नए अवसर मुहैया करने की मंशा को भी उजागर करता है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य अफ्रीका और अन्य कम विकसित देशों के साथ व्यापार बढ़ाना और उनकी आर्थिक विकास में मदद करना है।

चीन की शून्य टैरिफ पॉलिसी क्या है?

चीन की जीरो टैरिफ पॉलिसी का अर्थ है कि चीन उन देशों से आयात होने वाली वस्तुओं पर जीरो टैरिफ लगा रहा है, जो कम विकसित हैं। यह नीति चीन की ओर से उन देशों को आर्थिक सहायता देने के लिए अपनाई गई है, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और जिस देश के चीन से राजनयिक संबंध हैं। चीन की इस पॉलिसी से 33 अफ्रीकी देशों को सीधा फायदा होगा। ये देश कम लागत पर चीन को अनाज, फल, सी-फूड समेत अन्य वस्तुओं का निर्यात कर सकते हैं। हालांकि, जिन वस्तुओं से टैरिफ हटाया गया है उन वस्तुओं को एक अलग कोटा में रखा गया है। कोटा से बाहर आने वाले वस्तुओं पर पहले की तरह टैरिफ लगता रहेगा।

शून्य टैरिफ पॉलिसी से फायदा क्या है?

चीन की जीरो टैरिफ पॉलिसी से सीधे तौर चीन से राजनयिक संबंध रखने वाले अफ्रीकी देशों को आर्थिक लाभ होगा। इन देशों के निर्यात लागत में कमी आएगी। अफ्रीका और चीन के बीच आर्थिक संबंध मजबूत होंगे। विश्लेषकों के अनुसार, इस कदम से चीन के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को भी फायदा होगा, जो निर्यात के लिए अमेरिका और यूरोप जैसी मजबूत अर्थव्यवस्थाओं पर निर्भर करता है। अमेरिका और यूरोप के बदलते रवैये के चलते चीन इन उभरते बाजारों के साथ व्यापारिक संबंध को मजबूत बनाकर आर्थिक स्थिति को बेहतर कर सकता है। इस पहल से विकासशील देशों के निर्यातकों और चीन के आयातकों दोनों के लिए महत्वपूर्ण अवसर पैदा होने की उम्मीद है।

अंतरराष्ट्रीय संगठनों में बढ़ेगा चीन का प्रभाव-

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि कम विकसित देशों के साथ व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने से चीन को कूटनीतिक लाभ मिल सकता है। चीन को अंतरराष्ट्रीय संगठनों में प्रभाव बढ़ाने में मदद मिल सकती है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय संगठन संरक्षणवादी उपायों के बजाय खुली व्यापार नीतियों का समर्थन करते हैं। चीन का मानना है कि यह पॉलिसी उसके वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने में मदद करेगी और उसे एक महत्वपूर्ण वैश्विक खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगी।

विकासशील देशों के साथ मजबूत संबंध-

यह पहली बार नहीं है, जब चीन ने इस तरह की पहल की है। इससे पहले भी चीन ने विकासशील देशों के साथ अपने व्यापार संबंधों को मजबूत करने की कोशिश की है। 2022 में चीन ने 16 सबसे कम विकसित देशों के 98 प्रतिशत कर योग्य उत्पादों से टैरिफ हटा दिया था। इसका असर यह हुआ कि इन देशों से एक चौथाई माल निर्यात चीन में गया। नतीजतन चीन इन देशों के लिए सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया। हालांकि टैरिफ कोटा भी हटा दिया जाए तो चीन और विकासशील देशों के बीच व्यापार की मात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है।

ग्लोबल साउथ में चीन की मजबूत भूमिका-

जानकारों का मानना है कि जीरो टैरिफ पॉलिसी की बदौलत चीन न केवल अफ्रीकी देशों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगा, बल्कि ग्लोबल साउथ में भी रणनीतिक रूप से एक लीडर की तरह अपनी भूमिका को मजबूत करने में सफल होगा। आज लगभग सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं ग्लोबल साउथ में प्रभाव जमाने के लिए भरसक प्रयास कर रही हैं। यही नहीं कम से कम विकसित देशों के लिए चीन की जीरो-टैरिफ पॉलिसी वैश्विक व्यापार गतिशीलता को नया रूप देने में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह आर्थिक सहयोग के लिए नए रास्ते खोलती है। चीन को विकासशील दुनिया में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित करती है और पश्चिम में बढ़ती संरक्षणवादी भावनाओं को चुनौती देती है।
(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग) (लेखक—दिव्या तिवारी)

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