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action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/dainiksaveratimescom/wp-includes/functions.php on line 6114प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री और पृथ्वी विज्ञान विभाग, परमाणु ऊर्जा, कार्मिक और लोक शिकायत समेत कई महत्त्वपूर्ण विभाग संभालने वाले डा. जितेंद्र सिंह ने आज यहां दैनिक सवेरा कॉन्क्लेव 2023 में कहा कि उनकी सरकार 1994 में नरसिंह राव सरकार के कार्यकाल में संसद में पारित उस प्रस्ताव को नहीं भूली है, जिसमें कहा गया है कि पाकअधिकृत कश्मीर को भारत में शामिल कराया जाएगा। जालंधर लोकसभा उपचुनाव में पार्टी उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने आए डा. जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि पहले वाली केंद्र सरकारों से लोगों को उम्मीदें नहीं होती थीं, इसलिए वे शिकायतें भी नहीं करते थे। अब शिकायतें दस गुना बढ़ गई हैं, इसका मतलब यह है कि लोगों को अपनी समस्याएं हल होने की उम्मीदें भी बढ़ी हैं। पेश हैं दैनिक सवेरा के पमिल भाटिया के साथ केंद्रीय मंत्री के सवाल-जवाब:-
आपके पास लोक शिकायतों का भी विभाग है। जालंधर आकर आपने लोगों की क्या शिकायतें सुनीं और पार्टी कैडर से क्या शिकायतें सुनने को मिली हैं? पार्टी में कहा जाता है कि भाजपा के पास पंजाब में बड़े नेता तो हैं मगर कार्यकर्ता नहीं हैं?
पहले लोक शिकायत विभाग की बात करूं तो आपको थोड़ी हैरानी होगी कि 2014 से पहले सरकार के अंदर शिकायतें सुनने की कोई आदत ही नहीं थी। लेकिन मोदीजी ने कहा कि ‘मैक्सिमम गवर्नेंस, मिनिमम गवर्नमेंट’। ऐसी सरकार में शिकायत दर्ज करना और उनका समाधान प्रमुख काम होता है। हमने शिकायतों को आनलाइन कर दिया। नतीजा, पहले पूरे मुल्क में साल 2014 तक दो लाख शिकायतें होती थीं, उनकी संख्या बढ़कर 20 लाख हो गई। यानी दस गुणा ज्यादा इजाफा। एक पत्रकार ने सवाल किया कि कहीं मोदी सरकार में जनता की शिकायतें तो नहीं बढ़ गईं तो मैंने जवाब दिया कि इसका जवाब डेढ़ सौ साल पहले गालिब दे चुके हैं- जब तवक्को ही उठ गई गालिब क्यों किसी का गिला करे कोई। यानी गिला वहां किया जाता है, जहां कोई तवक्को (उम्मीद) हो। मोदीजी ने ऐसी व्यवस्था दी, जिसमें 95 फीसदी शिकायतों का जवाब पांच दिनों में दिया जाता है। कोई देर हो तो उसकी वजह बतानी पड़ती है। अब जालंधर के लोगों की बात। भाजपा ऐसी पार्टी है जिसमें कोई नेता नहीं है। सारे कार्यकर्ता हैं। वे सारी उम्र कार्यकर्ता ही रहते हैं। बस उनकी जिम्मेदारियां बदलती जाती हैं। जैसे रूपाणी जी कल तक गुजरात के मुख्यमंत्री थे, अब पंजाब के इंचार्ज हैं। कोई भी चुनाव हो, लोग इधर से उधर जाते रहते हैं। मोदीजी सारे चुनावों में जाते हैं। क्या देखा है कि कोई प्रधानमंत्री इस तरह अपने कार्यकर्ता का हौसला बढ़ाए और उसके साथ ऐसे चले। यह पार्टी कार्यकर्ताओं की पार्टी है, इसमें अनुशासन है, विश्वास है और इसका एक संविधान भी है। यह पार्टी व्यक्तियों से नहीं चलती, न ही परिवार या खानदान से चलती है।
आपने गालिब का शेर सुनाया तो उन्होंने यह भी लिखा है कि इधर-उधर की बात न कर, यह बता कि काफिला क्यों लुटा? आपने पंजाब में तीस साल तक अकाली दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। गांवों में आपका कोई आधार नहीं बना। शहर में जहां आधार है भी, वहां भी आपको बाहर से उम्मीदवार लाकर चुनाव में उतारने पड़ रहे हैं। ऐसा क्यों हुआ?
आपके इस सवाल के दूसरे हिस्से का पहले जवाब देता हूं। ऐसा माहौल बन गया कि हर कोई भारतीय जनता पार्टी में शामिल होना चाहता है। तो आप किसी को इनकार भी नहीं कर सकते हैं। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, सभी दलों से लोग आ रहे हैं। आप देखिए कि पंजाब में जितने भी पुराने कांग्रेसी नेता हैं वे अब भाजपा में आ गए। जो मुख्यमंत्री थे, वह भी आ गए। जो मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे, वे भी आ गए…।
भाजपा तो विचारधारा वाली पार्टी है। कांग्रेस की विचारधारा बिल्कुल अलग है। इन्हीं दो दलों में टकराव है। ऐसे में कांग्रेस से आए नेताओं का भाजपाकरण कैसे हो सकता है?
भाजपा एक संगठन है। अगर कोई बाहर से आता है कि हम आपकी विचारधारा से मुतमईन हैं, आपके साथ जुड़ना चाहते हैं तो यह कहना तो ठीक नहीं रहेगा कि तुम दूर रहो। उन्हें विचारधारा के साथ कैसे जोड़ना है, यह तो समय के साथ होता है। यह एक परिवार है। चार बेटे हैं। नई बहुएं आती हैं। कोई कान्वेंट में पढ़ी होती है। कोई गुरुनानक स्कूल में पढ़ी होती है। हौले-हौले वे आपकी तहजीब से जुड़ती हैं। यही हिसाब भाजपा का है। भाजपा की विचारधारा इतनी मजबूत है कि वह बाहर से आने वाले नेताओं को आसानी से अपनी सोच में ढाल सकती है। बाहर से जो लोग आते हैं उनमें फर्क क्या होता है? बस यही कि कोई वंशवाद से तंग आया होता है, कोई परिवारवाद और पक्षपात का पीड़ित होता है। तो कोई समझता है कि वहां पहले दादा था, फिर मां बनी, फिर पिता बना, फिर पोता आ गया तो वहां मेरी बारी तो आनी ही नहीं है। भाजपा ऐसी पार्टी है जो हर व्यक्ति को उसकी योग्यता और क्षमता के अनुसार देर-सबेर मौका तो देती ही है। इसी हिसाब से लोग हमसे जुड़ते हैं।
पंजाब में भाजपा सिख तबके को अपने साथ जोड़ने की बहुत कोशिश कर रही है। ऐसी कोशिशें प्रधानमंत्री के स्तर पर भी बहुत हुई हैं। इन्हें सिख तबके ने स्वीकार भी किया और खुशी भी जाहिर की। कई लोग जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने का भी स्वागत करते हैं। पंजाब में ऐसा ही एक मुद्दा आनंद मैरिज एक्ट का है। मुख्यमंत्री भगवंत मान कहते हैं कि अगर केंद्र सरकार इस पर कोई फैसला नहीं लेती है तो विधानसभा में इस पर कानून बनाया जाएगा। केंद्र सरकार का इस पर क्या नजरिया है?
देखिए, किसी एक्ट पर हम अलग से विस्तार से चर्चा करने के बजाय मैं यह कहना चाहूंगा कि मोदीजी ने पंजाब के लिए जितना किया है, उतना किसी और प्रधानमंत्री ने नहीं किया है। फिर चाहे वह करतारपुर कॉरिडोर खोलने का मुद्दा हो या नया राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने का जो कटरा तक जाएगा। इस बात को सिख ही नहीं, सभी समुदायों के लोग समझते हैं। वे मानते हैं कि भाजपा एक ऐसी पार्टी है जो धर्म के नाम पर शोषण नहीं करती है। क्योंकि उसका बुनियादी सिद्धांत है कि सबके साथ न्याय, तुष्टीकरण किसी का नहीं। मोदीजी ने कभी यह नहीं कहा कि यहां वोट मिलते हैं तो इन्हें ज्यादा दे दो या यहां कम मिलते हैं तो इन्हें सबक सिखा दो, तब ये अगली बार हमारे साथ आ जाएंगे। पंजाब में तो हमारी वैसी प्रेजेंस नहीं थी। यह बात सच है कि केंद्र ने जो योजनाएं शुरू कीं, वे पंजाब में उस तरह धरातल पर नहीं उतर सकी हैं, जैसे यूपी या दूसरे सूबों में उतरी हैं। जैसे आयुष्मान भारत योजना। स्वास्थ्य बीमा की ऐसी योजना दुनिया में कहीं नहीं है। पंजाब में यह लागू नहीं हुई। इसी तरह मुद्रा स्कीम आई। देश में लगभग 700 करोड़ के लोन बंट चुके हैं। इनमें 60-70 प्रतिशत महिलाएं हैं। ये पंजाब में क्यों लागू नहीं हुईं? इसी तरह उज्ज्वला गैस, शौचालय निर्माण वगैरा योजनाओं का लाभ सबको मिला। न किसी का धर्म पूछा गया, न ही जाति। एक नई तहजीब बनाने की कोशिश की गई है। दूसरी पार्टियां ऐसा नहीं चाहती हैं। जब तक वे दो वर्गों को न लड़ाएं, तब तक उनका काम नहीं चलता है। मोदीजी ने पूरे देश को एक सूत्र में पिरोया है। पूर्वोत्तर को देख लीजिए। इसी में पंजाब और सिख समुदाय भी आता है।
आपने स्टार्टअप्स का जिक्र किया है तो लगता है कि पंजाब में आपके कार्यकर्ता इस बारे में लोगों को समझा नहीं पाए हैं। क्या इसी कारण यह भाजपा के लिए वोटों में नहीं बदल पाता है? क्या पंजाब के लिए स्टार्टअप क्षेत्र में केंद्र सरकार के पास कोई योजना है?
यह सोचना गलत है कि भाजपा पंजाब में स्टार्टअप लागू नहीं करना चाहती क्योंकि यहां उसे वोट कम मिलते हैं। यह योजना वोटों के लिए नहीं है। साल 2014 से पहले देश में कुल 300 स्टार्टअप थे। पिछले नौ साल में इनकी संख्या बढ़कर 90 हजार हो गई। सौ गुणा से भी ज्यादा। कई यूनिकार्न बन चुके हैं। स्टार्टअप में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर आ गया है। स्टार्टअप इकोसिस्टम में हम विश्व में 81वें पायदान से 40वें पर आ गए। ये सारी योजनाएं केंद्र सरकार की थीं, भाजपा की नहीं। सरकारी योजनाओं को धरती पर उतारने का काम सरकारी अमले का ही है। अगर सूबे की सरकार पूरा सहयोग न करे तो आपकी बात सही है कि उस तरह का फायदा नहीं होगा, जैसा उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, असम या दूसरे राज्यों में होता है। भाजपा सामाजिक स्तर पर यह काम कर सकती है और करती भी है। डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जब जनसंघ की स्थापना की तो एक सवाल पूछा गया कि आप सामाजिक संस्था से हैं तो पार्टी क्यों बना रहे हैं? तो उन्होंने जवाब दिया कि अगर सत्ता में नहीं आएंगे तो अपना एजैंडा कैसे लागू करेंगे। वही बात कहता हूं कि यहां अपनी सरकार बनाइए, एम.पी. बनाइए, ताकि पंजाब में जो स्टार्टअप नहीं पहुंचा है, वह स्टार्ट हो जाए।
स्व. प्रकाश सिंह बादल साहब को श्रद्धांजलि देने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, फिर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और अब गृह मंत्री अमित शाह भी आए। इसके साथ ही ऐसी चर्चा शुरू हो गई है कि भाजपा और अकाली दल बादल फिर से हाथ मिला सकते हैं। आप प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री हैं तो इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री का क्या नजरिया है?
आप दो अलग-अलग बातें कर रहे हैं। श्रद्धांजलि देने आना अलग बात है। उनकी अपनी शख्सियत थी। इसे सियासी रंग देना ठीक नहीं है। अब यह सवाल कि गठबंधन होगा कि नहीं? प्रधानमंत्री का नजरिया क्या है? तो इस पर मैं न कुछ कह सकता हूं, न कहना चाहिए। ये सब सामूहिक फैसले होते हैं। भाजपा कोई रसोईघर की पार्टी नहीं है जहां खाना परोसते-परोसते फैसले हो जाते हैं। भाजपा में हर फैसला अलग ढंग से होता है। अगर टिकट भी देना है तो जिले से नाम राज्य के पास जाते हैं और वहां से केंद्र में। केंद्र में संसदीय बोर्ड फैसला करता है। इसलिए अकाली-भाजपा गठबंधन पर किसी के लिए भी कुछ कहना आसान नहीं है।
आपने कहा कि भाजपा में टिकट का व्यवस्थित तरीका है। लेकिन पार्टी कैडर में यह डर भी है कि जिस तरह अकाली और कांग्रेस से लोग आ रहे हैं, उस स्थिति में उनके लिए टिकट लेना मुश्किल होता जाएगा। क्या सोचते हैं?
जहां तक टिकट बांटने की बात है, वह मेरे दायरे से अलग है। फिर भी, टिकट बांटने से पहले उम्मीदवार का प्रोफाइल ही नहीं, उस हलके को भी परखा जाता है। यह भी देखा जाता है कि जीतने की संभावना कितनी है। भाजपा में एमपी-एमएमए बनना ही सब कुछ नहीं है। उससे भी बड़ी जिम्मेदारियां नेताओं को सौंपी जाती हैं। सबको मौका दिया जाता है। मैं भी नहीं कह सकता हूं कि अगली बार मुझे ही टिकट मिलेगा।
पंजाब में कुछ मोस्ट वांटेड गैंगस्टरों को प्रत्यर्पण कर भारत लाने की मांग की जा रही है। जैसे, सिंगर सिद्धू मूसेवाला के हत्यारोगी गैंगस्टर गोल्डी बराड़। मूसेवाला के पिता इस बारे में केंद्रीय गृहमंत्री से भी मिले थे। कनाडा ने गोल्डी को मोस्टवांटेड की लिस्ट में भी डाल दिया है। उसे भारत वापस लेने के लिए केंद्र सरकार क्या प्रयास कर रही है? हमारे प्रधानमंत्री और गृहमंत्री बहुत मजबूत हैं। उनके नेतृत्व में कई भगौड़ों पर केस दायर हुए। उनकी संपत्तियां विदेशों में भी जब्त की गई हैं। जहां तक गैंगस्टरों के प्रत्यर्पण की बात है तो इसमें कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती है। इसमें कुछ समय लगता है। ढील बरतने जैसी कोई बात नहीं है। मोदीजी के होते हुए कोई बात हो भी नहीं सकती है।
इसका कारण यह भी है कि सिद्धू मूसेवाला के पिता जालंधर में चुनाव प्रचार करने आ सकते हैं। उन्हें शिकवा है कि न तो राज्य सरकार ने मदद की, न ही केंद्र ने। क्या कहेंगे?
जिस परिवार ने अपना बेटा खोया, उसकी भरपाई तो हो ही नहीं सकती है। लेकिन, प्रधानमंत्री मोदी या गृहमंत्री अमित शाह के रहते हुए कोई ढिलाई हो ही नहीं सकती है। पिछले दिनों में कार्रवाई हुई भी है। कोई नरमी नहीं बरती गई है।
जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने का देश भर में स्वागत हुआ है। जम्मू-कश्मीर में भी तिरंगे फहराए गए, यात्राएं निकाली गईं। अब कैसा माहौल है? चर्चा यह भी है कि डा. जितेंद्र सिंह मुख्यमंत्री पद के अगले उम्मीदवार हो सकते हैं?
बाकी बातों का जिक्र करने से पहले यह गलतफहमी दूर हो जाए कि मैं मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार हूं। यह घातक साबित हो सकती है। मेरी न कोई आशा, अभिलाषा है, न आकांक्षा, न कोई महत्वाकांक्षा है। पार्टी ने जो काम दिया है, उसी में खुश हूं। वही काम पूरा कर लूं, तो समझो परमात्मा की मेहर है। गुरुओं की मेहर है। पार्टी ही यह फैसला करती है कि किसे क्या काम देना है। ऐसा नहीं है कि कुर्सी पर बैठने से रुतबा बढ़ जाता है। कई लोगों ने ऐसे अच्छे काम किए हैं कि कुर्सी के बगैर ही उनका रुतबा बढ़ा है। दूसरी बात, धारा 370 इतिहास के साथ खिलवाड़ था। पंडित नेहरू और दूसरे पैरोकारों ने इसे आरजी (अस्थायी) बताया, लेकिन बाद में इसे स्थायी होने दिया। मोदीजी ने वह गड़बड़ी ठीक की। इस पर बोलूंगा तो सारा दिन लग जाएगा। लेकिन, एक मिसाल देता हूं। बंटवारे का सारा नुक्सान पंजाब में ही हुआ। जो पाकिस्तान से आकर यहां बसे उन्हें आदर-सम्मान मिला, उन्होंने बड़ा काम भी किया। जो जम्मू-कश्मीर जाकर बसे, उन्हें नागरिकता का अधिकार भी नहीं मिला। जब नागरिकता नहीं होगी, वोटिंग का अधिकार नहीं होगा तो चुनाव भी नहीं लड़ सकते। अगर इंद्र कुमार गुजराल और डा. मनमोहन सिंह पाकिस्तान से आकर जम्मू में बसे होते तो उन्हें न तो वोट का अधिकार होता, न ही वह भारत के प्रधानमंत्री बन पाते। यह कितनी बड़ी नाइंसाफी होती। यह संवैधानिक ही नहीं मानव अधिकार हनन का भी मामला है। बाहरी मुल्कों में भी पांच-सात साल में ग्रीन कार्ड या नागरिकता मिल जाती है। यहां सत्तर साल बीत गए। अब तो वहां माहौल बहुत अच्छा है। रिकार्ड संख्या में पर्यटक वहां गए हैं। होमस्टे खुल रहे हैं। मीडिया यह नहीं दिखाता है।
तो मोदी सरकार का अगला सपना पीओके को भारत में शामिल कराना है?
अब मीडिया किस प्रकार चीजों को लेता है, वह दूसरी बात है। मैं कहना चाहता हूं कि 1994 में कांग्रेस की नरसिंह राव सरकार ने संसद में एक प्रस्ताव पारित कराया। उसमें यह लिखा है कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच कोई मुद्दा हल होने से बचा है तो वह है पाकअधिकृत कश्मीर को भारत में शामिल करना। उस पर पाकिस्तान ने नाजायज कब्जा कर रखा है। यह संसद का फैसला है। भाजपा ने इस प्रस्ताव को समर्थन दिया था। कांग्रेस अपने प्रस्ताव को भूल जाती है, लेकिन भाजपा नहीं भूली है।