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action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/dainiksaveratimescom/wp-includes/functions.php on line 6114जम्मू: जम्मू कश्मीर से अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद जम्मू क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों में बढ़ोतरी हुई है। पिछले करीब चार वर्ष में आतंकवादियों की भर्ती की घटनाओं में भी वृद्धि की प्रवृत्ति देखी गई है। सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। आंकड़ों के मुताबिक, जम्मू क्षेत्र में आतंकवाद विरोधी अभियानों में पांच अगस्त 2019 से 16 जून 2023 के बीच 231 आतंकवादियों और उनके मददगारों की गिरफ्तारी की गई है जो 27 अक्टूबर 2015 से चार अगस्त 2019 के बीच हुई ऐसी गिरफ्तारियों की तुलना में 71 प्रतिशत ज्यादा हैं।
केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू क्षेत्र में आठ ग्रेनेड और 13 आईईडी हमले दर्ज किए गए। 27 अक्टूबर 2015 से चार अगस्त 2019 तक चार ग्रेनेड और सात आईईडी हमले दर्ज किए गए थे। आईईडी विस्फोटों में हताहतों की संख्या 2015-19 में तीन से 2019-2023 में 73 प्रतिशत बढक़र 11 हो गई।
अनुच्छेद 370 को हटाने से पहले और इसे हटाने के बाद के करीब चार वर्ष के आंकड़ों की तुलना करने पर पता चलता है कि आतंकवादियों द्वारा हमला कर भाग जाने की घटना में 43 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और ये मामले चार से बढक़र सात हो गए हैं। आंकड़ों के मुताबिक, आतंकवादियों की भर्ती की घटनाओं में 39 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है और ये मामले आठ से बढक़र 13 हो गए हैं।
पिछले तकरीबन चार वर्ष में आतंकी हमलों में आम लोगों और सुरक्षा बलों के हताहत होने की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट आई है। 27 अक्टूबर 2015 से चार अगस्त 2019 तक 11 आम लोग मारे गए थे जबकि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद सात आम लोगों की जान गई है और इसमें 63 प्रतिशत की कमी आई है। आंकड़ों के अनुसार, आतंकवादी हमलों में पुलिस और सुरक्षा बलों के हताहतों में भी 13 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
आंकड़ों से पता चलता है कि अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद विभिन्न हमलों में 29 सुरक्षा र्किमयों की मौत हुई है जबकि 32 अन्य जख्मी हुए हैं जबकि 27 अक्टूबर 2015 से चार अगस्त 2019 के बीच 33 र्किमयों की मौत हुई थी और 42 अन्य जख्मी हुए थे। अनुच्छेद 370 हटाने के बाद हथियार छीनने की एक व पथराव की 19 घटनाएं हुईं और 16 बार हड़ताल व बंद का आह्वान किया गया। अनुच्छेद 370 हटाने से पहले के करीब चार वर्ष की अवधि की तुलना करें तो इनमें क्रमश: 80 प्रतिशत, 62 फीसदी और 42 प्रतिशत की कमी आई है।
सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि आतंकवाद से संबंधित घटनाएं ज्यादातर सीमावर्ती जिलों राजौरी और पुंछ तक ही सीमित हैं, जहां पांच अगस्त 2019 से पिछले चार वर्षों में विभिन्न मुठभेड़ों में 65 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया गया। यहां रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि जम्मू क्षेत्र में “360-डिग्री सुरक्षा तंत्र” को मजबूत किया गया है और आतंकवादियों की सहायता प्रणाली को खत्म करने के लिए सुरक्षा ग्रिड द्वारा सभी प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, जम्मू-कश्मीर में समग्र सुरक्षा स्थिति में पहले से सुधार हुआ है जम्मू-कश्मीर पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने इस क्षेत्र (जम्मू) पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया है और आतंकवादियों के खिलाफ सफलता हासिल की है।” सिन्हा ने कहा था, हम आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहनशीलता की नीति का पालन कर रहे हैं और हमारा प्रशासन आतंकी इको सिस्टम से जुड़े लोगों या आतंकवादी, अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।