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महाराष्ट्र सरकार के फैसले पर भड़की SGPC, धामी ने कहा-श्री हजूर साहिब गुरुद्वारा बोर्ड में सदस्यों की संख्या सीमित करना निंदनीय

सिखों की सिरमौर संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) महाराष्ट्र सरकार द्वारा श्री हजूर साहिब नादेड़ गुरुद्वारा बोर्ड पर लिए गए फैसले पर भड़क उठी है। SGPC ने महाराष्ट्र सरकार के मंत्रिमंडल के फैसले कि गुरुद्वारा बोर्ड में सिख सदस्यों की संख्या कम जाए की कड़ी निंदा की है।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान महाराष्ट्र मंत्रिमंडल के इस फैसले को लेकर अपनी आपत्ति जताते हुए सरकार को एक पत्र भी लिखा है। SGPC के प्रधान हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि श्री हजूर साहिब नांदेड़ गुरुद्वारा बोर्ड में सिख संगठनों के सदस्यों की संख्या सीमित करने का कार्य अत्यंत दुखद एवं निंदनीय है।

गुरुघरों पर कब्जा करना चाहती है सरकार

SGPC के प्रधान हरजिंदर सिंह धामी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को टैग करते हुए ट्वीट भी किया है। जिसमें लिखा है कि महाराष्ट्र सरकार का यह फैसला सिखों के मामलों में सीधा हस्तक्षेप है, जिसे सिख समुदाय बर्दाश्त नहीं कर सकता। महाराष्ट्र सरकार का गुरुद्वारा बोर्ड में सरकार के मनोनीत सदस्यों की संख्या बढ़ाने और सिख संगठनों के सदस्यों को कम करने का निर्णय सिख तीर्थस्थलों पर कब्जा करने की तरफ एक कदम है।

सिखों के मामले में साजिशों को रोके सरकार

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की सरकार ने सचखंड श्री हजूर साहिब नांदेड़ और अबचल नगर साहिब बोर्ड एक्ट 1956′ में इस तरह के संशोधन का प्रस्ताव लाने से पहले सिखों के साथ कोई विचार विमर्श नहीं किया। उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से अपील की है कि वह सिख तीर्थस्थलों के प्रबंधन में दखल अंदाजी की साजिशों को तुरंत रोकें।

उन्होंने कहा कि नांदेड़ सिख गुरुद्वारा सचखंड श्री हजूर अबचलनगर साहिब बोर्ड एक्ट 1956 के संशोधन को रोका जाए। उन्होंने कहा कि नांदेड़ गुरुद्वारा बोर्ड में पहले की तरह सिख संगठनों के प्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। धामी ने लिखा है कि यह सिखों से जुड़ा बेहद गंभीर मामला है।

इसके लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के एक प्रतिनिधिमंडल को सीएम से मुलाकात के लिए तत्काल समय दिया जाना चाहिए। ताकि हर पहलू पर गंभीरता से विचार विमर्श किया जा सके. हजूर साहिब की संगत में भी इस फैसले के खिलाफ सख्त नाराजगी है।
नांदेड़ गुरुद्वारा बोर्ड में सिख संगठनों के सदस्यों को प्रतिनिधित्व देने का अर्थ तख्त साहिब, संबंधित सिख तीर्थस्थलों की पवित्रता के मद्देनजर बोर्ड के कामकाज को पारदर्शी और धार्मिक तरीके से सुनिश्चित करना है और अधिनियम में कोई भी विकृति इस भावना को नुकसान पहुंचाएगी।

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