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वैज्ञानिकों के अनुसार मलेरिया रोधी टीका R21 बहुत कारगर, कैसे काम करती है वैक्सीन

ऑक्सफोर्ड: 3 साल पहले तक किसी ने भी कोई पैरासाइटिक (परजीवी) रोग रोधी टीका विकसित नहीं किया था। अब मलेरिया रोधी 2 टीके आ चुके हैं, जिनके नाम आरटीएस, एस और आर21 हैं। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में जेनर इंस्टीच्यूट के निदेशक और आर21 टीके के मुख्य अन्वेषक एड्रियन हिल ने नादिन ड्रेयर ने बताया कि उन्हें क्यों लगता है कि यह मलेरिया नियंत्रण के लिए एक बड़ा और महत्वपूर्ण दौर है।

मलेरिया लगभग 3 करोड़ साल से है, तब मनुष्य भी नहीं हुआ करते थे। मलेरिया कोई वायरस नहीं है और न ही यह बैक्टीरिया है। यह एक ‘प्रोटोजोआ’ (आदिकाल का) परजीवी है, जो सामान्य वायरस से हजारों गुना बड़ा है। जीन की तुलना करके इसे अच्छी तरह समझा जा सकता है।

मलेरिया परजीवी चार जीवन चक्रों से गुजरता है। संक्रामक रोगजनकों के साथ-साथ यह और विकराल रूप धारण कर लेता है। चिकित्सा शोधकत्र्ता 100 से अधिक वर्षों से मलेरिया के टीके बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ऑक्सफोर्ड में हमें 30 साल का शोध करना पड़ा।

कैसे काम करती है वैक्सीन

मलेरिया के चारों जीवन चक्र बेहद अलग-अलग हैं और इससे निपटने के लिए अलग-अलग एंटीजन की आवश्यकता होती है। एंटीजन वह पदार्थ है, जो हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को ‘एंटीबॉडी’ पैदा करने के लिए सक्रिय करता है। हमने ‘स्पोरोजोइट्स’ (कोशिकाओं के एक रूप) पर गौर किया, जो मच्छर त्वचा पर काटकर मानव शरीर में छोड़ते हैं। हमने इन कोशिकाओं के यकृत में पहुंचने से पहले इनका पता लगाने का काम किया। ये कोशिकाएं तेजी से फैलती हैं और ज्यादा समय तक जीवित रहती हैं। हर मच्छर छोटी मात्र में ‘स्पोरोजोइट’, शायद 20 ‘स्पोरोजोइट’ त्वचा में छोड़ते हैं अगर आपका शरीर इन 20 ‘स्पोरोजोइट’ को झेल लेता है, तो माना जाता है कि आप सुरक्षित हैं लेकिन अगर एक भी ‘स्पोरोजोइट’ आगे बढ़ जाता है, तो आपके लिए मुश्किलें खड़ी हो जाती हैं।

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