कोलकाता : कोलकाता के सीके बिड़ला अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार, डॉ. सब्यसाची पाल ने कहा कि वायु प्रदूषण का दैनिक जीवन में स्वास्थ्य पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। डा. पाल ने कहा कि वायु प्रदूषण पर किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि हवा में इनके मौजूदा स्तरों से अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह के संपर्क से हृदय संबंधी खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि हृदय रोग, फेफड़ों के कैंसर और स्ट्रोक से पीड़ित एकतिहाई लोगों में इन रोगों का कारण वायु प्रदूषण है, सिगरेट के उपयोग और अन्य हानिकारक कारकों से भी इस पर समान रूप से प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कितने समृद्ध जगहों पर रहते हैं, वायु प्रदूषण से बचना बहुत मुश्किल है।
डॉ. पाल ने कहा कि फेफड़ों, हृदय और मस्तिष्क सभी को वायु प्रदूषण से नुक्सान पंहुच सकता है जो शरीर की सुरक्षा तंत्र से बच सकते हैं और हमारे श्वसन और संचार प्रणालियों में बहुत अंदर तक प्रवेश कर सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुमानों के अनुसार, दुनिया की 91 प्रतिशत आबादी वायु प्रदूषण के औसत स्तर से अधिक वाले क्षेत्रों में रहती है जो कि डब्ल्यूएचओ की 10 ग्राम प्रति घन मिलीमीटर से अधिक है। हाल के एक अन्य सर्वेक्षण के अनुसार, राष्ट्रीय मृत्यु दर और रुग्णता वायु प्रदूषण अध्ययन (एनएमएमएपीएस) के विश्लेषण से पता चला है कि पीएम 10 में प्रत्येक 10-ग्राम/एम 3 वृद्धि होने से अल्पावधि में दैनिक कुल और हृदय मृत्यु दर में क्रमश: 0.21 प्रतिशत और 0.31 प्रतिशत की वृद्धि होती है।
यह भी देखा गया है कि अल्पकालिक और दीर्घकालिक जोखिम दोनों ही सामान्य लोगों में कोरोनरी सिंड्रोम, अनियमित दिल की धड़कन, हार्ट फेल होना, स्ट्रोक और अचानक हृदय गति रुकने से मृत्यु जैसी प्रमुख हृदय संबंधित घटनाओं के लिए अस्पताल के रोगियों में वृद्धि करते हैं, खासकर पहले से मौजूद हृदय रोग वाले लोगों में। डॉ पाल ने कहा कि चिकित्सा विज्ञान विशेषज्ञ वर्तमान में मानव शरीर से इन हानिकारक कणों को निकालने और समाप्त करने के लिए नई अत्याधुनिक तकनीकों पर शोध और काम कर रहे हैं। वायु प्रदूषण के प्रति किसी व्यक्ति की संवेदनशीलता जैविक कारकों जैसे वृद्धावस्था, हृदय रोग संबंधी इतिहास, हृदय संबंधी जोखिम, फेफड़ों संबंधी रोग और अन्य स्वास्थ्य कारकों पर निर्भर करती है।
वायु प्रदूषण का कारण छोटे कण
प्राथमिक रूप से वायु प्रदूषण के कारण छोटे कण होते हैं, जो मुख्य रूप से ईंधन और सड़क यातायात से उत्पन्न ठोस और तरल बूंदों का मिश्रण होते हैं; नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड, जो जीवाश्म ईंधन और अन्य हानिकारक पदार्थों को जलाने से उत्पन्न होते हैं और जमीनी स्तर पर ओजोन तब उत्पन्न होता है जब सूर्य की रोशनी वाहन उत्सर्जन से उत्पन्न प्रदूषकों के साथ प्रतिक्रिया करती है। वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, कुछ घंटों से कुछ हफ्तों तक उच्च पीएम 2.5 सांद्रता के संपर्क में आने से दिल का दौरा पड़ सकता है और यहां तक कि हृदय रोग से मृत्यु भी हो सकती है। लंबे समय तक यह जोखिम आयु को कम कर सकता है और दिल का दौरा से होने वाली मौत के जोखिम को बढ़ा सकता है।