नई दिल्ली: एक शोध में यह बात सामने आई कि गर्भधारण से पहले 3 महीने पहले वायु प्रदूषण पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5, पीएम 10) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ 2) के अधिक संपर्क में रहने से जन्म के 2 साल बाद तक बच्चे में मोटापे का खतरा बना रह सकता है। प्रदूषण के दुष्प्रभाव को लेकर पहले भी शोध हुए थे। उनमें गर्भावस्था के दौरान की चुनौतियों का जिक्र था, लेकिन इस बार गर्भाधारण से पहले की स्थितियों पर रिसर्च की गई है। अमरीका और चीन के शोधकर्ताओं की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम द्वारा किए गए नए अध्ययन में गर्भधारण से पहले की अवधि पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसमें विशेष तौर पर गर्भावस्था के पहले की बात की गई है।
पत्रिका एनवायरन्मैंटल रिसर्च में प्रकाशित शोध के अनुसार इस समय सीमा (गर्भधारण से 3 महीने पहले) के दौरान प्रदूषण का असर शुक्राणु और अंडों की हैल्थ पर पड़ता है। अध्ययन में शंघाई के प्रसूति क्लीनिकों में भर्ती किए गए 5,834 मां-बच्चे के जोड़े शामिल थे। निष्कर्ष से पता चला कि गर्भावस्था से पहले पीएम 2.5, पीएम 10 और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के संपर्क में वृद्धि से बीएमआई या बीएमआईजैड बढ़ सकता है।