Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

Career में भरे रंग Paint Engineering के संग

पेंट आज शहरी आवास संस्कृति का एक अभिन्न अंग बन चुका है। घर, दफ्तर, चमचमाते मॉल्स, स्कूल अस्पताल सामुदायिक भवन, कॉमर्शियल कॉम्प्लैक्स। कहने का मतलब आवास या कामकाज की ऐसी कोई ऐसी जगह नहीं है जो आज पेंट से चमचमाती न हो। पेंट आज हर जगह इस्तेमाल होता है यहां तक कि टैम्परेरी आवास भी बनाए जाते हैं तो वह भी पेंट से चमचमाते होते हैं।

लेकिन पेंट सिर्फ घर को सजाने या खूबसूरत दिखने के लिए ही नहीं किया जाता बल्कि पेंट के कई और फायदे भी होते हैं। पेंट को लोहा, लकड़ी तथा सीमैंट की सतह को सजाने-संवारने अथवा बारिश व मौसम के अन्य कुप्रभावों से बचाये रखने की गर्ज से उपयोग किया जाता है। पेंट, वार्निश, इनैमलएवं औद्योगिक नजरिए से अन्य कार्यों में भी प्रयुक्त किए जाते हैं। समय-समय पर की जाने वाली साफ सफाई का भी पेंट से गहरा रिश्ता है।

जब हमें अपने घर या दफ्तर में पेंट करना या कराना होता है तो हम अपनी जरूरत व पसंद के मुताबिक रंगों का डिब्बा बाजार से खरीद लाते हैं फिर उसे वार्निश व थिनर अथवा मिट्टी के तेल से मिलाकर ब्रश अथवा स्प्रे की मदद से दीवारों अथवा मनचाहे स्थानों पर लगा देते हैं। दिखने में भले पेंट महज रंग-रोगन का जरिया लगता हो।

सच यह है कि पेंट एक जटिल रासायनिक मिश्रण है जो रैजिन, पॉलीमर, तेल, प्लास्टिसाइजर, ड्रायर, एडिटिव, पिगमेंट, साल्वेंट आदि अनेक चीजों से मिलकर बना होता है। किसी भी पेंट की उपयोगिता तथा गुणवत्ता उसमें मौजूद कच्चे माल की शुद्घता तथा उसकी समुचित मात्रा पर निर्भर करती है। ज्यों-ज्यों दुनिया रंगीन हो रही है पेंट का महत्व बढ़ रहा है।

बीते एक दशक में दुनिया बेहद रंगीन हुई है आज कंप्यूटर क्रांति के चलते इंसान ने 50 लाख से ज्यादा रंगों की खोज कर ली है। मोटर वाहन उद्योग के आश्चर्यजनक विस्तार तथा उसमें वाहनों के लिए रंगों की विविधता ने इस क्षेत्र में करियर के लिहाज से असीम संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं। आजकल सड़कों में कारों का काफिला देखकर यूं लगता है कि जैसे सड़क रंगीन फूलों की क्यारी हो।

रंगों का दिन पर दिन लोगों में जबरदस्त असर देखने को मिल रहा है। इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि लोग अपने मनपसंद रंग की कार लेने के लिए आज की तारीख में हजारों रुपये अतिरिक्त खर्च करने के लिए तैयार हैं। सिर्फ कारों में ही नहीं कंप्यूटरों, मोबाइलों, दुपहिया वाहनों तक में भी अब रंगों को लेकर लोगों की खास पसंद देखी जा रही है। यही कारण है कि अब पेंट का महत्व दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है।

बहुराष्ट्रीय कंपनियों की पैकेजिंग व्यवस्था ने भी लोगों को रंगों के प्रति क्रेजी बनाया है जिसका प्रत्यक्षत: असर पेंट उद्योग के भारी टर्न ओवर के रूप में सामने आया है। लेकिन पेंट का इस्तेमाल सिर्फ नजरों को भला लगने के लिए ही नहीं होता। पेंट का इससे कहीं ज्यादा महत्व है। भारत में तेजी से विकसित हो रहे इन्फ्रास्ट्रक्चर में हर साल 1,00,000 करोड़ रुपये के लोहे की खपत होती है।

लेकिन पेंट के समुचित इस्तेमाल न होने और लापरवाही बरते जाने के चलते हर साल 12,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का लोहा जंग लगकर बर्बाद हो जाता है। इसलिए भी पेंट की जरूरत होती है कि लोहे को लंबी उम्र और मजबूती बख्शी जा सके। पेंट इंजीनियरिंग इसी वजह से हर गुजरते दिन के साथ महत्वपूर्ण होती जा रही है। जिस तरह देश में औद्योगिक प्रगति हो रही है और बडे पैमाने पर इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास हो रहा है उसको देखते हुए इस क्षेत्र का भविष्य उज्ज्वल है।

विशेषज्ञों के मुताबिक देश में अगले 10 सालों के अंदर पेंट की खपत मौजूदा खपत के तीन गुना तक बढ़ जाएगी। जाहिर है पेंट उद्योग में ऐसे विशिष्ट प्रोफेशनलों की जरूरत भी कई गुना ज्यादा बढ़ जायेगी जिन्होंने पेंट इंजीनियरिंग से डिग्री हासिल की होगी। यही वजह है कि आजकल विभिन्न सरकारी व निजी क्षेत्र के संस्थानों में पेंट इंजीनियरिंग को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है।

इस संबंध में विधिवत प्रशिक्षण पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। पेंट इंजीनियरिंग टैकनोलॉजी का पाठ्यक्रम चार वर्ष की अवधि का है। पेंट इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम के अंतर्गत अनेक विषयों का अध्ययन कराया जाता है। इस पाठ्यक्रम को हम मोटे तौर पर तीन भागों में बांट सकते हैं। प्रथम भाग में विज्ञान संबंधी मूल विषयों जैसे गणित, भौतिक विज्ञान, रसायन शास्त्र आदि उच्च स्तरीय कोर्स समाहित होते हैं।

दूसरे वर्ग में प्रचलित इंजीनियरिंग विषयों मसलन, मैकेनिकल, इलैक्ट्रिकल, कंप्यूटर, कैमिकल इंजीनियरिंग से जुड़े संदर्भों का अययन करना होता है। तीसरे व सर्वाधिक महत्वपूर्ण वर्ग के तहत पेंट इंजीनियरिंग के विभिन्न पक्षों जैसे कच्चा माल, पेंट फार्मूलों का सिद्घांत, उत्पादन प्रक्रियाएं तथा मशीनरी, पेंट की गुणवत्ता नियंत्रण, पेंट लगाने के विविध साधन, सूखने व ठोस होने के विविध सिद्घांत, पेंट की शुष्क सतहों की विशेषताएं आदि के बारे में पढ़ाया जाता है।

सिद्घांत रूप में इन विषयों को पढ़ाये जाने के साथ-साथ विभिन्न संस्थान पेंट इंजीनियरिंग के छात्रों को कुछ दिनों की व्यवहारिक टेनिंग देने के लिए उन्हें पेंट कारखाने भी भेजते हैं ताकि छात्रों को यह भी पता चले कि व्यवहारिक रूप में किस तरह से काम होता है। कारखानों के अलावा उन्हें प्रयोगशालाओं में भी भेजा जाता है ताकि पेंट के रासायनिक मिश्रण को सही से समझा जा सके।

पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष में प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जाती है। यह रिपोर्ट डिजाइनिंग, सैमीनार, कारखानों में प्रत्यक्ष अनुभव आदि के आर पर ही तैयार की जाती है। पेंट इंजीनियरों की देश में ही नहीं विदेश में भी भारी मांग है। यही कारण है कि आजकल पेंट इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने वाले छात्रों की र्केपस में ही नौकरियां मिल जाती है। पेंट इंजीनियरिंग में डिग्री देने वाले कुछ प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं-

– गरवारे इंस्टीट्यूट ऑफ करियर एजुकेशन एंड डैवलपमेंट, विद्या नगरी, कलीना, सांताक्रूज (पूर्व) मुंबई-98।
– हरकोर्ट बटलर टैक्नोलॉजीकल इंस्टीट्यूट नवाबगंज, कानपुर ’डिपार्टमेंट ऑफ कैमिकल टैक्नोलॉजी, विश्वविद्यालय जलगांव।
– एलएन इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी, अमरावती यूनिवर्सिटी, अमरावती, महाराष्ट्र, वीरमाता जीजाबाई टैक्नोलॉजीकल इंस्टीट्यूट, माटुंगा, मुंबई।
– विट्ठल पटेल और राजरत्न पीजी पटेल साइंस कॉलेज, वल्लभ विद्यानगर जिला खेड़ा (गुजरात)।
– इंडस्ट्रियल रिसर्च लैबोरैटरी, कैनाल, साऊथ रोड, कोलकाता।

Exit mobile version