भारत में धूप की कोई कमी नहीं होती, फिर भी लगभग 65 से 70 प्रतिशत भारतीय लोगों में इस सबसे जरूरी विटामिन की कमी है। विटामिन डी शरीर की लगभग हर कोशिका को प्रभवित करता है। यह सूर्य के प्रकाश में रहने पर त्वचा में उत्पन्न होता है और कैल्शियम के अवशोषण तथा हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। विटामिन डी का लैवल कम होने पर हड्डियों को नुक्सान पहुंचता है।
हालांकि, यह विटामिन दिल, मस्तिष्क और प्रतिरक्षा तंत्र के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। भारत में विभिन्न त्यौहारों पर सूर्य की पूजा की जाती है। माघ, वैशाख और कार्तिक माह में शाही स्नान का महत्व है, जब सुबह-सुबह सूरज की पूजा-अर्चना करने और कैल्शियम से समृद्ध भोजन करने का प्रावधान है,
जिसमें उड़द की दाल और तिल प्रमुख हैं। वर्तमान में विटामिन डी का मंत्र यह है कि वर्ष में कम से कम 40 दिन 40 मिनट रोज सूर्य की रोशनी में रहना चाहिए। इसका सही लाभ तब मिलता है जब शरीर का कम से कम 40 प्रतिशत हिस्सा सूर्य की रोशनी के संपर्क में आए, भले ही प्रात:काल या शाम के समय।
विटामिन डी2 एगोकैल्सीफेरॉल हमें खाद्य पदार्थों से मिलता है, जबकि विटामिन डी3 कोलेकैल्सीफेरॉल सूर्य की रोशनी पड़ने पर हमारे शरीर में उत्पन्न होता है। दोनों विटामिन हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। डी2 भोजन से प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन डी3 का उत्पादन सूर्य के प्रकाश में ही होता है। बहुत से लोग इस तथ्य से अन्जान हैं कि उन्हें विटामिन डी की कमी हो सकती है।