नई दिल्ली: एक शोध के अनुसार, जिन लोगों की मांसपेशियों के अंदर वसा की जेबें छिपी होती हैं, उन्हें दिल का दौरा पड़ने का खतरा अधिक रहता है, चाहे उनका बॉडी मास इंडैक्स कुछ भी हो। यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित नए अध्ययन में इस बात के प्रमाण दिए गए हैं कि बॉडी मास इंडैक्स (बीएमआई) या कमर की चौड़ाई सभी लोगों के लिए हृदय रोग के जोखिम का सही-सही मूल्यांकन करने के लिए पर्याप्त नहीं है। अध्ययन से पता चला है कि जिन लोगों की मांसपेशियों में वसा की मात्र अधिक होती है, उनमें हृदय की छोटी रक्त वाहिकाओं को नुक्सान पहुंचने की संभावना अधिक होती है (कोरोनरी माइक्रोवैस्कुलर डिसफंक्शन या सीएमडी)। ऐसे लोगों में हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।
जिन लोगों में इंटरमस्क्युलर वसा का उच्च स्तर और सीएमडी के सबूत होते हैं, उनमें दिल का दौरा पड़ने का खतरा अधिक होता है। ब्रिघम और महिला अस्पताल, यूएस में कार्डियक स्ट्रेस प्रयोगशाला के निदेशक प्रोफैसर विवियन टैक्वेटी ने कहा, ये निष्कर्ष वसा और मांसपेशियों को संशोधित करने वाले इनक्रीटिन-आधारित उपचारों के हृदय स्वास्थ्य प्रभावों को समझने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो सकते हैं। इसमें ग्लूकागन-जैसे पेप्टाइड-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट की नई श्रेणी शामिल है। टीम वसायुक्त मांसपेशियों वाले लोगों में दिल के दौरे के जोखिम को कम करने में मदद करने के लिए व्यायाम, खानपान, वजन घटाने वाली दवाओं या सजर्री सहित उपचार की अन्य विधियों के शरीर की संरचना और हृदय रोग पर प्रभाव का आकलन कर रही है।