नई दिल्ली: भरपूर नींद लेने और हर दिन एक ही समय पर सोने से इंसुलिन रेजिस्टेंस, प्री डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा काफी कम हो सकता है। एक शीर्ष न्यूरोलॉजिस्ट ने यह बात कही है। हैदराबाद के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के डॉ. सुधीर कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर नींद से जुड़े विभिन्न कारकों पर प्रकाश डाला है, जो टाइप 2 डायबिटीज के विकास के जोखिम को प्रभावित कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, “नींद की कमी, अधिक सोने, अवरोधक स्लीप एपनिया और अलग-अलग रातों में नींद की अवधि में 30 मिनट से अधिक का अंतर होने से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।” उन्होंने यह भी बताया कि देर से सोने और देर से जागने की आदत के कारण यह जोखिम बढ़ सकता है। शीर्ष न्यूरोलॉजिस्ट ने कहा, “शिफ्ट में काम करने से अक्सर नींद खराब होती है,
यह भी टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को बढ़ाने वाला एक अन्य कारक है।” उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि नींद की अवधि और पैटर्न के संदर्भ में टाइप 2 डायबिटीज का सबसे कम जोखिम उन लोगों को होता है जो सात-आठ घंटे की नींद लेते हैं, जिनकी अलग-अलग रातों में सोने की अवधि में 30 मिनट से कम का अंतर होता है और जिनमें जल्दी सोने तथा जल्दी जागने की प्रवृत्ति होती है।