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स्तन कैंसर रोगियों को कीमोथैरेपी संग इम्यूनोथैरेपी दवा दी जाए तो परिणामों में होगा सुधार संभव

सिडनी: ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने स्तन (ब्रैस्ट) कैंसर के सबसे सामान्य रूप के उपचार में एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है, जिससे क्योर रेट यानि स्वस्थ होने की दर में सुधार होने की उम्मीद है। पीटर मैक की वेबसाइट पर लेटेस्ट प्रैस रिलीज के अनुसार, मेलबर्न के पीटर मैककैलम कैंसर सैंटर (पीटर मैक) द्वारा आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय क्लिनिकल ट्रायल (परीक्षण) में यह पाया गया है कि अगर सजर्री से पहले स्तन कैंसर के मरीजों को कीमोथैरेपी के साथ इम्यूनोथेरेपी दवा निवोलुमैब दी जाए, तो इससे परिणामों में महत्वपूर्ण सुधार हो सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार, इस परीक्षण में 510 लोगों ने हिस्सा लिया, जिन्हें ईआर प्लस/एचईआर2- प्रकार का स्तन कैंसर था, जो विश्व स्तर पर सभी मामलों में लगभग 70 प्रतिशत है। इन मरीजों को सजर्री से पहले टय़ूमर को सिकोड़ने के लिए कीमोथैरेपी दी गई थी। शोधकर्ताओं ने मूल्यांकन किया कि सजर्री से पहले के चरण में निवोलुमैब या प्लेसबो के इंफ्यूजन को जोड़ने से इलाज के प्रति उनकी प्रतिक्रिया पर क्या प्रभाव पड़ा। शोधकर्ताओं ने पाया कि निवोलुमैब के साथ इलाज किए गए मरीजों में से 25 प्रतिशत में सजर्री के बाद कैंसर के कोई लक्षण नहीं मिले, जबकि प्लेसबो समूह में यह आंकड़ा 14 प्रतिशत था।

पीटर मैक के मैडीकल ऑन्कोलॉजिस्ट और परीक्षण के नेता शेरेन लोई ने कहा, ‘इन रोगियों के ठीक होने की संभावना है, क्योंकि उनके टय़ूमर को हटा दिया गया था और उसी समय एकत्र किए गए स्तन और लिम्फ नोड ऊतक के नमूनों में भी कैंसर कोशिकाएं नहीं मिलीं।’ हाल ही में?रूस ने कैंसर के इलाज में एक महत्वपूर्ण खोज की घोषणा की थी, जिसमें कैंसर मरीजों के इलाज के लिए एक मआरएनए-आधारित वैक्सीन बनाई गई है। इस वैक्सीन को जल्द लॉन्च किया जाएगा। हालांकि, कथित तौर पर वैक्सीन रूसी नागरिकों को फ्री में वितरित की जाएगी।

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