हीरा एक पारदर्शी रत्न है जो रासायनिक रूप से कार्बन का शुद्धतम रूप है। हीरे में प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं के साथ सह-संयोजी बन्ध द्वारा जुड़ा रहता है। कार्बन परमाणुओं के बाहरी कक्ष में उपस्थित सभी चारों इलैक्ट्रान सह-संयोजी बन्ध में भाग ले लेते हैं तथा एक भी इलैक्ट्रान स्वतंत्र नहीं होता है।
इसलिए हीरा ऊष्मा तथा विद्युत का कुचालक होता है। हीरे में सभी कार्बन परमाणु बहुत ही शक्तिशाली सह-संयोजी बन्ध द्वारा जुड़े होते हैं, इसलिए यह बहुत कठोर होता है। हीरा प्राकृतिक पदार्थों में सबसे कठोर पदार्थ है। इसकी कठोरता के कारण इसका प्रयोग कई उद्योगों से लेकर आभषणों में किया जाता है। हीरे केवल सफेद ही नहीं होते, अशुद्धियों के कारण इसकी आभा नीला, लाल, संतरी, पीला, हरा व काला भी होता है। हरा हीरा सबसे दुर्लभ है।
हीरे को यदि किसी भट्टी में 763 डिग्री सैल्सियस पर गर्म किया जाए, तो यह जलकर कार्बन बन जाता है क्योंकि हीरा कार्बन का ही शुद्ध रूप है। हीरा रासायनिक तौर पर बहुत निष्क्रिय होता है एव सभी घोलकों में अघुलनशील होता है। इसका आपेक्षिक घनत्व 3.51 होता है। बहुत अधिक चमक होने के कारण हीरे को आभूषण के रूप में उपयोग किया जाता है।
हीरा उष्मीय किरणों के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील होता है, इसलिए अतिशुद्ध थर्मामीटर बनाने में इसका उपयोग किया जाता है। काले हीरे का उपयोग कांच काटने, दूसरे हीरे को काटने, हीरे पर पालिश करने तथा चट्टानों में छेद करने के लिए किया जाता है।