नई दिल्ली: उम्र बढ़ने के साथ अधिकांश लोगों को जोड़ों में दर्द या सूजन की समस्या से जूझना पड़ता है। ऐसे में हड्डियों या जोड़ों में होने वाले इस दर्द को अर्थराइटिस कहा जाता है। अर्थराइटिस एक ऐसी बीमारी है, जिसके लक्षण धीरे-धीरे दिखाई देते हैं और शुरुआत में ही इसके प्रति यदि सतर्क हो जाएं तो मरीज इस समस्या से खुद का बचाव कर सकता है। इंदौर स्थित कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल के डॉ. मनीष लधानिया, कन्सल्टेन्ट, ऑर्थोपेडिक एंड जॉइन्ट रिप्लेसमेंट सर्जन, इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।
इन कारणों से होता है अर्थराइटिस:
अर्थराइटिस की समस्या शरीर के बढ़ते वजन के कारण भी हो सकती है. मोटापे के कारण जोड़ों में दर्द और ऐंठन की समस्या होती है और इस कारण जोड़ों में मौजूद कार्टिलेज प्रभावित होता है।इसके अलावा कुछ लोगों में यह समस्या अनुवांशिक कारणों से भी होती है।
वहीं आजकल अनियमित दिनचर्या और खानपान में लापरवाही के कारण भी कुछ लोगों में अर्थराइटिस की समस्या देखी जाने लगी है। आमतौर पर अर्थराइटिस की बीमारी 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में देखी जाती है. ऑस्टियो अर्थराइटिस की समस्या मुख्य रूप से किसी चोट या एक्सीडेंट के कारण होती है।
कैसे करें अर्थराइटिस का इलाज:
अर्थराइटिस के शुरुआती लक्षण दिखने पर तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए , नहीं तो यह समस्या तेजी से बढ सकती है जिससे आपको बहुत प[परेशानी हो सकती है। डॉक्टर की सलाह पर ही दवाओं का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा शरीर को हाइड्रेटेड रखें. दिन में 3 से 4 लीटर पानी जरूर पीना चाहिए।
डाइट में ऐसी चीजों को शामिल नहीं करना चाहिए, जिससे मोटापा बढ़ता हो। शुरुआत में ही यदि फिज़ियोथेरेपी या अन्य फिजिकल एक्टीविटी पर ध्यान दिया जाए तो अर्थराइटिस की समस्या को कंट्रोल किया जा सकता है।