चेन्नई: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के शोधकर्त्ताओं ने पहली बार एक आर्टीफिशियल इंटैलिजैंस (एआई) मॉडल विकसित किया है, जो भारतीय आबादी के लिए विशिष्ट है और गर्भवती महिला में उसकी दूसरी व तीसरी तिमाही में भ्रूण की उम्र का सटीक निर्धारण कर सकता है। भ्रूण की सटीक आयु, गर्भकालीन आयु गर्भवती महिलाओं की उचित देखभाल और सटीक प्रसव तिथियां निर्धारित करने में भी मदद करती है।
वर्तमान में भारत में चिकित्सक पश्चिमी आबादी के लिए विकसित एक फार्मूले का उपयोग करके गर्भकालीन आयु निर्धारित करते हैं, इससे त्रुटि की संभावना बढ़ जाती है। ट्रांसलेशनल हैल्थ साइंस एंड टैक्नोलॉजी इंस्टीच्यूट (टीएचएसटी आई), फरीदाबाद सहित शोधकर्त्ताओं की टीम ने कहा कि गर्भिनी-जीए2 नामक नया मॉडल भारतीय आबादी के लिए भ्रूण की उम्र का सटीक अनुमान लगाता है, इससे त्रुटि लगभग तीन गुना कम हो जाती है।
आईआईटी मद्रास के सैंटर फॉर इंटीग्रेटिव बायोलॉजी एंड सिस्टम्स मेडिसिन के समन्वयक और डेटा का नेतृत्व करने वाले डॉ. हिमांशु सिन्हा ने कहा,‘‘आईआईटी मद्रास भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ाने के उद्देश्य से जमीनी स्तर और स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य देखभाल समस्याओं को हल करने में योगदान दे रहा है।
इस उद्देश्य से, हम प्रतिकूल जन्म परिणामों की भविष्यवाणी करने के लिए उपकरण बनाने के लिए उन्नत डेटा विज्ञान और एआई/एमएल तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं। इस दिशा में पहला कदम सटीक जीए मॉडल विकसित करना है, जो पश्चिमी आबादी का उपयोग करके डिजाइन किए गए वर्तमान में उपयोग किए जाने वाले मॉडल की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन करते हैं।’
नया मॉडल नवजात शिशुओं की देखभाल में कर सकता सुधार
नया मॉडल नवजात शिशुओं की देखभाल में भी सुधार कर सकता है, इससे भारत में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी आएगी। यह शोध जन्म परिणामों पर उन्नत अनुसंधान के लिए अंत:विषय समूह-डीबीटी इंडिया इनिशिएटिवह्ण (गर्भिनी) कार्यक्रम का भी हिस्सा है।
भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने कहा कि गर्भिनी डीबीटी का एक प्रमुख कार्यक्रम है, और गर्भकालीन आयु का अनुमान लगाने के लिए इन जनसंख्या-विशिष्ट मॉडल का विकास एक सराहनीय परिणाम है। इन मॉडलों को पूरे देश में मान्य किया जा रहा है।