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लंबा कोविड: संक्रमण के 2 साल बाद तक मस्तिष्क की कार्यप्रणाली हाेती हैं प्रभावित

लंदनः संज्ञनात्मक कार्यों या कौशलों, जैसे पुरानी बातों को याद करने की क्षमता, कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना, या बातचीत में सही शब्द ढूंढने में आने वाली कठिनाइयां, आमतौर पर कोविड संक्रमण के बाद बताई जाती हैं। इन लक्षणों को अक्सर ब्रेन फ़ॉग के रूप में संर्दिभत किया जाता है, और विशेष रूप से उन लोगों में आम है जिनमें दीर्घकालिक या लगातार लक्षण होते हैं जिन्हें लॉन्ग कोविड कहा जाता है। मार्च 2023 की नवीनतम गणना के अनुसार, यूके में लंबे समय तक कोविड से पीड़ित 10 लाख लोग थे जिन्होंने ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई की सूचना दी थी, और तकरीबन साढ़े सात लाख लोगों ने स्मृति हानि या भ्रम की सूचना दी थी।

अल्पावधि में, ब्रेन फ़ॉग के लक्षण लोगों की उनके सामान्य दैनिक कार्यों, जैसे कामकाज और बच्चे की देखभाल, को पूरा करने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं और उनके जीवन की गुणवत्ता को कम कर सकते हैं। लंबी अवधि में, हल्की संज्ञनात्मक हानि मनोभ्रंश जैसी अधिक गंभीर स्थितियों में विकसित हो सकती है। आम तौर पर कोविड संक्रमण को मनोभ्रंश के निदान के बढ़ते जोखिम से जोड़ा गया है। इसलिए छोटी और लंबी अवधि में लोगों की सहायता करने के लिए, आमतौर पर संज्ञनात्मक कार्य पर ब्रेन फॉग और लंबे कोविड के प्रभावों की प्रकृति, आकार और अवधि को समझना महत्वपूर्ण है।

एक नए अध्ययन में, मैं और मेरे सहकर्मी यह समझने के लिए निकले कि क्या कोविड संक्रमण, और लक्षण अवधि, संज्ञनात्मक परीक्षणों में प्रदर्शन को प्रभावित करती है, और समय के साथ परीक्षण प्रदर्शन कैसे बदल गया है। हमने पाया कि लगातार लक्षण वाले लोगों की स्थिति कोविड संक्रमण के दो साल बाद तक इन परीक्षणों में बदतर रही।

दिमागी प्रशिक्षण

संज्ञनात्मक कौशल का परीक्षण करने के लिए, हमने जुलाई 2021 में और फिर अप्रैल 2022 में 12 मस्तिष्क-प्रशिक्षण-शैली कार्यों की एक श्रृंखला को ऑनलाइन पूरा करने के लिए कोविड लक्षण अध्ययन बायोबैंक में प्रतिभागियों को आमंत्रित किया। पहले दौर में, 3,300 से अधिक लोगों ने परीक्षण पूरा किया। अन्य 2,400 ने दूसरा दौर पूरा किया, जिनमें से 1,700 ने पहले दौर में भी भाग लिया था। कोविड लक्षण अध्ययन बायोबैंक एक अध्ययन है जो 2020 में शुरू हुआ, जिसमें कोविड लक्षण अध्ययन स्मार्टफोन ऐप (अब जैडओई हेल्थ स्टडी) से लोगों को भर्ती किया गया जो लक्षणों और कोविड परीक्षणों को ट्रैक करता है। अध्ययन में 8,000 से अधिक लोगों को शामिल किया गया है, जिनके पास पहले से ही कोविड संक्रमण का इतिहास था और जिनके पास कम और लंबी अवधि के कोविड लक्षण थे।

कार्यों का उद्देश्य दृश्य स्मृति, ध्यान, मौखिक तर्क और मोटर नियंत्रण सहित मस्तिष्क के कामकाज के कई क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना था। कुछ कार्यों में शब्दों और आकृतियों को एक मिनट से भी कम की देरी के बाद या लगभग 20 मिनट की लंबी देरी के बाद याद रखना शामिल था। अन्य कार्यों में स्क्रीन पर दिखाई देने वाले संख्याओं के अनुक्रम को देखना और फिर अनुक्रमों को दोहराना, गतिशील बुल्सआई लक्षय़ पर क्लिक करना और यह तय करना शामिल था कि क्या शब्दों के जोड़े का अर्थ समान है। परीक्षण के समान संस्करण किसी के भी लिए ऑनलाइन आजमाने के लिए उपलब्ध हैं। हमने तब रिकॉर्ड किया कि लोगों ने कार्यों को कितनी सटीकता से पूरा किया और उनकी प्रतिक्रिया का समय क्या था।

हमने क्या पाया

जब हमने तुलना की कि पहले दौर में कोविड के इतिहास वाले या बिना इतिहास वाले लोगों ने कितनी सटीकता से परीक्षण पूरा किया, तो हमने देखा कि संक्रमण वाले लोगों के 12 कार्यों में औसतन कम स्कोर थे। गहराई से जानने पर, हमने देखा कि परीक्षण प्रदर्शन पर कोविड का प्रभाव तीन महीने से अधिक की लंबी लक्षण अवधि वाले लोगों के लिए सबसे बड़ा था। ये लोग लंबे समय तक कोविड होने के मानदंडों को पूरा करते हैं। यह भी परीक्षण करके कि अन्य कारकों ने परीक्षण स्कोर को कैसे प्रभावित किया, हम यह बताने में सक्षम थे कि कोविड का कितना बड़ा प्रभाव पड़ा। उदाहरण के लिए, हमने देखा कि वृद्ध लोगों और मनोवैज्ञनिक संकट का सामना करने वाले लोगों को परीक्षणों में कम अंक मिले। परीक्षण के दूसरे दौर में, हमने परीक्षण प्रदर्शन में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं देखा। इसका मतलब यह है कि 2021 में कम स्कोर वाले समूह अपने प्रारंभिक संक्रमण के दो साल बाद भी 2022 में अपने मस्तिष्क कामकाज पर कोविड के प्रभाव को महसूस कर रहे थे।

सीमाएं और आगे कहाँ

हमारे अध्ययन में कुछ सीमाओं पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। हमारे पास लोगों के लिए उनके कोविड संक्रमण से पहले के परीक्षण के परिणाम नहीं हैं, जिसने हमारे वेिषण को विभिन्न समूहों के परिणामों की तुलना करने तक सीमित कर दिया है। इसके अलावा, हमारे प्रतिभागियों में ज्यादातर महिलाएं थीं, और ब्रिटेन की सामान्य आबादी की तुलना में श्वेत पृष्ठभूमि से आने वाले और अधिक समृद्ध क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का अनुपात अधिक था। बहरहाल, हमारा अध्ययन उन लोगों की निगरानी करने और उनके सामान्य होने में सहायता करने की आवशय़कता को दर्शाता है जिनके मस्तिष्क का कार्य कोविड से सबसे अधिक प्रभावित होता है।

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