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Delhi में निजी अस्पतालों में सिजेरियन के अधिक मामले, सामान्य प्रसव वाले MCD प्रसूतिगृह रहते हैं खाली

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी के सरकारी और निजी अस्पतालों में वर्ष 2022 में करीब 2.82 लाख बच्चों ने जन्म लिया, जिसमें से करीब 38 फीसदी यानी 1.07 लाख बच्चों का जन्म सिजेरियन प्रणाली से हुआ जबकि सामान्य प्रसव की पद्धति पर आधारित दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के 17 प्रसूति गृहों में पिछले साढ़े चार वर्षों में सिर्फ 31,121 प्रसव हुए। दिल्ली सरकार के आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग द्वारा राजधानी में जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण की वार्षिक रिपोर्ट 2022 के मुताबिक, 2022 में दिल्ली में कुल 2,82,389 बच्चों का जन्म हुआ, जिनमें से 1,81,892 बच्चों का जन्म सामान्य प्रसव से और 1,07,079 बच्चों का जन्म सिजेरियन यानी आपरेशन के जरिए हुआ।

जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण की वार्षिक रिपोर्ट 2022 के मुताबिक, दिल्ली के शहरी इलाकों में स्थित सरकारी अस्पतालों में कुल 1,65,826 बच्चों का जन्म हुआ, जिनमें से 44,040 बच्चे सिजेरियन से जन्मे। वहीं निजी अस्पतालों में कुल 87,629 बच्चों का जन्म हुआ, जिनमें से 53,446 बच्चे सिजेरियन से जन्मे जबकि सामान्य प्रसव के जरिए 32,756 बच्चों का जन्म हुआ। आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में स्थित सरकारी अस्पतालों में कुल 21,079 बच्चों का जन्म हुआ, जिनमें से 4,893 बच्चे सिजेरियन से जन्मे। वहीं ग्रामीण इलाकों में स्थित निजी अस्पतालों में कुल 7,855 बच्चों का जन्म हुआ, जिनमें 4,700 बच्चे सिजेरियन जबकि सामान्य प्रसव के जरिए 3,089 बच्चे जन्मे।

वहीं, सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत दायर आवेदन के जवाब में एमसीडी के स्वास्थ्य विभाग द्वारा मुहैया कराई गई जानकारी के मुताबिक, एमसीडी के 17 प्रसूति गृहों में 2019-20 की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) से 2023-24 की दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर) तक कुल 31,121 महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया और इस दौरान 3 नवजात शिशुओं की प्रसव के समय मौत हुई। स्वास्थ्य विभाग ने आरटीआई के जवाब में बताया कि बीते 2 वर्षों में नगर निगम के अंतर्गत आने वाले प्रसूति गृहों में प्रसव के दौरान किसी महिला की मौत नहीं हुई।

सिजेरियन की संख्या में तेजी से बढ़ौतरी
दिल्ली के श्री बालाजी एक्शन मैडिकल इंस्टीट्यूट में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मीनाक्षी बंसल ने बताया कि मौजूदा वक्त में सामान्य प्रसव की तुलना में सिजेरियन की संख्या में तेजी से बढ़ौतरी हुई है। सिजेरियन के कारणों के संबंध में डॉ. मीनाक्षी ने बताया कि पेट में बच्चे की पोजिशन सही ना हो या फिर बच्चा बार-बार अपनी स्थिति बदल रहा हो, बच्चे के गले में नाल उलझ गई हो, बच्चे का विकास ठीक से न हो पा रहा हो, बच्चे की दिल की धड़कन असामान्य हो गई हो या आक्सीजन की कमी हो रही हो, बच्चे का सिर ‘बर्थ कैनाल’ से बड़ा हो, गर्भवती महिला को बीपी या हृदय रोग की समस्या हो, गर्भवती महिला का पहले से सिजेरियन या कोई बड़ा आपरेशन हुआ हो, ऐसी अनेक परिस्थितियों में आपरेशन से डिलिवरी की जाती है। उन्होंने कहा कि बहुत सी महिलाएं सामान्य प्रसव के दौरान होने वाले दर्द से बचने के लिए ‘सी-सैक्शन’ या सिजेरियन डिलिवरी का विकल्प खुद ही चुन रही हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछ महिलाएं मुहूर्त के हिसाब से बच्चे का जन्म कराना चाहती हैं इसलिए भी वह सिजेरियन डिलिवरी को चुन रही हैं।

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