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action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/dainiksaveratimescom/wp-includes/functions.php on line 6114One Gene 30 Diseases Diagnosis: सालों से गंभीर बीमारी से पीड़ित एक मरीज की बदौलत 30 ऐसे लोगों की बीमारी का पता लगाया है, जिनकी बीमारी कई परीक्षणों के बावजूद पता नहीं चल पा रही थी। इस तरह एक चिकित्सा रहस्य सुलझ गया है। एक अंतर्राष्ट्रीय शोधकर्ताओं की टीम ने 30 लोगों का जेनेटिक डायग्नोसिस किया, जिनकी बीमारी लंबे समय से पकड़ में नहीं पा रही थी।
इस दौरान कई बार उनके मेडिकल टेस्ट हो चुके थे। यह अध्ययन बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन, नेशनल यूनिवर्सटिी ऑफ सिंगापुर और अन्य संस्थानों द्वारा किया गया और इसे जेनेटिक्स इन मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित किया गया। इस मरीज में दुर्लभ समस्याओं का असामान्य संगम था। उसे गंभीर विकास संबंधी समस्याएं और मिर्गी के अलावा अन्य बहुत से दिक्कत थी।
खास बात यह है कि इस मरीज को दर्द का भी अनुभव नहीं होता था। ऐसे में यह मरीज सामान्य से बहुत अलग था। बायलर में बाल तंत्रिका विज्ञान और विकासात्मक विज्ञान के प्रशिक्षक डॉ. डेनियल कैलामे ने कहा, ‘कई परीक्षणों के बावजूद इस स्थिति का डायग्नोस नहीं हो सका था। कैलामे और उनकी टीम ने मरीज के आनुवंशिक और चिकित्सा डेटा का पुन: वेिषण किया, जिससे उन्हें एफएलवीसीआर1 नामक एक जीन तक पहुंचने में मदद मिली और एक चिकित्सा रहस्य सुलझाने का अवसर मिला।
अभी तक के प्रमाण से पता चलता है कि एफएलवीसीआर1 प्रोटीन लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण और कोशिकाओं में कोलाइन और इथेनॉलमाइन के परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फॉस्फेटिडिलकोलाइन और फॉस्फेटिडिलेथेनॉलमाइन कोशिका ङिाल्ली के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये कोशिका विभाजन और अन्य आवश्यक कार्यों के लिए जरूरी हैं।
कोलाइन और इथेनॉलमाइन इन दो पदार्थों के निर्माण के लिए आवश्यक हैं। अन्य शोधकर्ताओं ने पाया कि चूहों में एफएलवीसीआर1 जीन हटाने से उनके भ्रूण अवस्था में ही मृत्यु हो जाती है। कैलामे ने बताया कि उन भ्रूणों में सिर और अंगों की हड्डियों में कई विकृतियां और लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में कमी देखी गई, जो डायमंड-ब्लैकफैन एनीमिया (डीबीए) के समान थी। लेकिन हमारे मरीज में यह डीबीए से अलग था।
डीबीए के मरीजों में भी हड्डियों में विकृतियां होती हैं। दिलचस्प बात यह है कि चूहों में डीबीए का कारण एफएलवीसीआर1 माना गया था, परंतु डीबीए के मरीजों में इसे प्रमुख नहीं माना गया था। अन्य जीन पाए गए जो इस स्थिति का कारण बने। कैलामे ने कहा, ‘हमें एक ओर एफएलवीसीआर1 म्यूटेशन के साथ एक दुर्लभ समस्या वाले मरीज और दूसरी ओर एफएलवीसीआर1 जीन में म्यूटेशन वाले अन्य मरीज मिले, जिनमें अलग-अलग समस्याएं थीं। टीम ने इसका समाधान खोजने की कोशिश की और 23 असंबंधित परिवारों के 30 मरीजों में एफएलवीसीआर1 जीन की दुर्लभ विविधताएं पाई।
इन निष्कर्षों से यह स्पष्ट हुआ कि एफएलवीसीआर1 के म्यूटेशन विभिन्न विकास संबंधी समस्याओं का कारण बन सकते हैं, जिनमें गंभीर मल्टी ऑर्गन विकार से लेकर वयस्कों में न्यूरो डीजेनरेशन भी शामिल हैं। कैलामे ने कहा, ‘हमें यह जानकर खुशी हुई कि उन 30 मरीजों को हम उनकी स्थिति के बारे में एक व्याख्या दे पाए, जबकि कई सालों से उनकी बीमारी के बारे में पता नहीं लग पा रहा था।