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प्री-मेच्योर डेथ का खतरा 29% तक बढ़ा सकती है नींद से जुड़ी ये आदत

Sleep Related Habit : सोना सोने समान – अक्सर हमने अपने बड़े बुजुर्गों से इसे सुना होगा। सोना यानि वो धातु जो बेशकीमती है और दूसरा सोना वो नींद जो अनमोल है। सोना गुम जाए तो आर्थिक नुकसान, नींद न आए तो उससे भी बड़ा नुकसान। और वो नुकसान है सेहत का।

अगर कोई रात में आठ घंटे सोता है तो मान लें, बहुतों की तुलना में आप हेल्दी रहेंगे। एक ताजा अध्ययन के मुताबिक, कम नींद से असमय मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। अमेरिका स्थित वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के एक नए अध्ययन में बताया गया है कि कम नींद से असमय मृत्यु का जोखिम 29% तक बढ़ सकता है। इस अध्ययन में पर्याप्त नींद के महत्व पर प्रकाश डाला गया है।

वयस्कों को अच्छी सेहत के लिए सात से नौ घंटे की नींद लेने की सलाह अक्सर चिकित्सक देते हैं। खराब नींद से डिमेंशिया, हृदय रोग, टाइप 2 मधुमेह, मोटापा और यहां तक कि कुछ कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है।

जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित शोध के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने 40 से 79 वर्ष की आयु के लगभग 47,000 (कम आय वाले) वयस्कों की नींद की आदतों का विश्लेषण किया। प्रतिभागियों ने अपनी औसत नींद की अवधि पांच साल के अंतराल पर साझा की। इसमें सात से नौ घंटे तक की नींद लेने वाले को ‘‘स्वस्थ’’ माना गया, अगर यह सात घंटे से कम थी तो ‘‘कम’’ और अगर यह नौ घंटे से ज्यादा थी तो ‘‘लंबी’’ माना गया।

नींद के पैटर्न को नौ श्रेणियों में बांटा गया। इनमें से ‘‘कम-लंबी’’ से मतलब प्रतिभागी के पांच साल की अवधि के दौरान रात में नौ से ज्यादा घंटे सोने से पहले के दौर से था। उस दौरान वो सात घंटे से कम सोता था। लगभग 66% प्रतिभागियों की नींद खराब थी – वे या तो सात घंटे से कम सोते थे या एक बार में नौ घंटे से ज़्यादा।

सबसे आम नींद के पैटर्न ‘‘बेहद कम’’, ‘‘शॉर्ट हेल्दी’’ और ‘‘हेल्दी शॉर्ट’’ थे। बेहद कम और हेल्दी शॉर्ट पैटर्न में महिलाओं की संख्या ज्यादा थी। लगभग 12 साल तक स्लीपर्स का अनुसरण किया गया। इस दौरान 13,500 से ज्यादा प्रतिभागियों की मृत्यु हुई, जिनमें 4,100 हृदय रोग से और 3,000 कैंसर पीड़ित पाए गए।पाया गया कि जिन लोगों की नींद की आदतें ‘‘शॉर्ट-लॉन्ग’’ या ‘‘लॉन्ग-शार्ट’’ होती हैं, उनमें जल्दी मृत्यु का जोखिम विशेष रूप से अधिक होता है।

हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में अच्छी नींद को लेकर कुछ उपाय सुझाए गए हैं। इनमें औषधियां, योग, आहार, और जीवनशैली में बदलाव की सलाह दी गई है। आयुर्वेद पंचकर्म का भी परामर्श देता है, जिसमें शिरोबस्ती (सिर पर तेल बनाए रखना), शिरोभ्यंग (सिर की मालिश), शिरोपिच्छु (कान की नली में गर्म तेल लगाना) और पादभ्यंग (पैरों की मालिश) शामिल हैं। इन सब उपायों को किसी जानकार चिकित्सक या आयुर्वेदाचार्य से समझ-बूझ कर ही अपनाना चाहिए, क्योंकि वो प्रकृति के लिहाज से ही उचित सलाह दे सकते हैं। जरूरी है क्योंकि ये गोल्ड जैसी कीमती नींद का जो मामला है!

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