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उत्तर भारत में सर्दियों के बाद अचानक गर्मियां आने से बसंत का मौसम छोटा होता जा रहा: विश्लेषण

नई दिल्ली: वर्ष 1970 के बाद के तापमान के आंकड़ों का विश्लेषण करने से पता चला है कि उत्तर भारत में सर्दियों के बाद तेजी से गर्मी का मौसम आने की प्रवृत्ति देखी जा रही है जिसके कारण बसंत का मौसम छोटा होता जा रहा है। अमरीका स्थित वैज्ञानिकों के एक स्वतंत्र समूह ‘क्लाइमेट सैंट्रल’ के शोधकर्ताओं ने सर्दियों के महीनों (दिसंबर से फरवरी) पर ध्यान केंद्रित करते हुए ‘ग्लोबल वार्मिंग’ के रुझान के संदर्भ में भारत को लेकर विश्लेषण किया।

विश्लेषण से पता चला कि पूरे उत्तर भारत में सर्दियों के अंत में तापमान में अचानक बदलाव आ रहा है। उत्तर भारत के राज्यों में औसत तापमान में जनवरी में या तो ठंडक की प्रवृत्ति देखी गई या हल्की गर्माहट देखी गई, जिसके बाद फरवरी में तेज गर्मी देखी गई।

शोधकर्ताओं ने कहा कि इससे संकेत मिलता है कि इन क्षेत्रों में सर्दियों के ठंडे तापमान के बाद अचानक ऐसी अधिक गर्म स्थितियां पैदा हो रही हैं, जो पारंपरिक रूप से मार्च में होती थी। उन्होंने इस परिवर्तन को दिखाने के लिए जनवरी और फरवरी में गर्मी की दर के बीच अंतर की गणना की, जिसे 1970 के बाद से औसत तापमान में परिवर्तन के रूप में दर्शाया गया।

इस दर में सबसे महत्वपूर्ण उछाल राजस्थान में देखा गया, जहां फरवरी में औसत तापमान जनवरी की तुलना में 2.6 डिग्री सैल्सियस अधिक था। कुल नौ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों- राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, पंजाब, जम्मू और कश्मीर और उत्तराखंड- में जनवरी और फरवरी में 2 डिग्री सैल्सियस से अधिक का अंतर देखा गया।

शोधकर्ताओं ने कहा कि यह अध्ययन उन रिपोर्ट का समर्थन करता है, जिनके अनुसार, भारत के कई हिस्सों में बसंत गायब होती प्रतीत हो रही है। विश्लेषण में यह भी बताता है कि सर्दियां, कुल मिलाकर पूरे भारत में गर्म हो रही हैं। मणिपुर में 1970 के बाद से सर्दियों के औसत तापमान (दिसंबर से फरवरी) में सबसे बड़ा बदलाव (2.3 डिग्री सैल्सियस) हुआ, जबकि दिल्ली में सबसे कम बदलाव (0.2 डिग्री सैल्सियस) हुआ।

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