rocket
domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init
action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/dainiksaveratimescom/wp-includes/functions.php on line 6114मनोचिकित्सक डॉ. हरजोत मक्कड़ ने कहा है कि तेजी से बदलती जीवनशैली में तनाव का स्तर तेजी से बढ़ा है। अब तो युवाओं के साथ-साथ बच्चे भी तनाव की चपेट में आ रहे हैं। स्कूल जाने वाले छात्रों में भी तनाव का स्तर देखा जा रहा है। इससे आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ रही है। डॉ. मक्कड़ ने रणजीत एवेन्यू में आयोजित एक सैमिनार में अभिभावक को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चों के अवसाद का मुख्य कारण या तो स्कूल का बोझ है या उनके माता-पिता की डांट। अक्सर, माता-पिता कभी-कभी यह नहीं समझते हैं कि उनके बच्चे को क्या चाहिए और वे अपनी इच्छा उन पर थोपना शुरु कर देते हैं। इसकी वजह से बच्चा डिप्रैशन में आ जाता है और अकेलापन महसूस करने लगता है। उन्होंने कहा कि तनाव एक प्रकार का साइकॉटिक डिसऑर्डर है, जिसमें 2 सप्ताह या उससे अधिक समय तक के लिए उदासी रहती है। डॉ. मक्कड़ ने कहा कि बच्चे को हमेशा नकारात्मक विचार आते हैं और उसका मन किसी भी काम में नहीं लगता है। उसकी रोजमर्रा की जिंदगी अस्त- व्यस्त हो जाती है। मां-बाप का बच्चों को समय न दे पाना, नौकरी तथा अन्य कार्यों के कारण मां-बाप बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। इसीलिए अपने बच्चे के लिए हमेशा समय निकालें उसे पिकनिक, डिनर या फिल्म दिखाने ले जाएं।
अपने बच्चों को समझें अभिभावक : डॉ. मक्कड़ ने कहा कि बच्चों को मोबाइल कंप्यूटर की बजाय आउटडोर गेम्स खेलने के लिए प्रेरित करना चाहिए, उसके साथ समय बिताएं। उन्होंने कहा कि अभिभावक के चेहरे पर तनाव का असर भी बच्चों पर पड़ सकता है। यदि बच्चे को किसी भी परीक्षा में सफलता नहीं मिलती है, तो कभी उसे डांटें या उस पर दबाव न डालें। इससे आपका बच्चा तनाव में आ जाएगा। ऐसे में यह जरूरी है कि अभिभावक अपने बच्चों को समझें। उन्हें समय दें। उसकी भावनाओं पर विचार करें, और उसके साथ अधिक समय बिताएं।
पढ़ाई-लिखाई का बोझ डा. मक्कड़ ने कहा कि पढ़ाईलिखाई का बोझ बच्चों के मन पर तनाव पैदा कर रहा है। उनका होमवर्क न होना, पढ़ाई में कम नंबर आना तथा क्लास में पीछे रह जाना, इन सभी कारणों से मां-बाप तथा स्कूल में टीचर बच्चों को डांटते हैं। इससे बच्चों पर भावनात्मक दबाव पड़ता है। माता-पिता तथा अध्यापक हमेशा ही बच्चों पर अधिक नंबर लाने तथा कक्षा में प्रथम आने को कहते हैं, जिससे उनका कॉन्फिडैंस लैवल बहुत कम हो जाता है।