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दाल बनाने के ये हैं कुछ तरीक

हम कितना भी अच्छा क्यों न खाएं, हमारी सेहत तभी बरकरार रह सकती है, जब हम सही ढंग से खुराक लेते रहें। इसके साथ ही यह भी महत्त्वपूर्ण है कि जो हम खाते हैं, उसे किस ढंग से पकाया जाता है। भोजन में दालों का काफी अहम स्थान है। सभी प्रकार की दालों में प्रोटीन की काफी मात्रा होती है। इसके अलावा इनमें विटामिन बी, लोहा, फास्फोरस आदि भी पर्याप्त मात्रा में होते हैं जो शरीर के लिए बेहद जरूरी हैं। बहुत से लोग दालों का सेवन करते हैं लेकिन उनमें से बहुत कम लोग इन्हें पकाने की विधि जानते हैं जबकि यह पता होना बहुत आवश्यक है कि दालों को किस प्रकार पकाया जाये ताकि उनके पोषक तत्व नष्ट न हों।

छिलके वाली या साबुत दालें ही प्रयोग में लाएं क्योंकि इनके छिलके में ही सभी पोषक तत्व विद्यमान होते हैं। लेकिन कई महिलाएं छिलके वाली दाल को कुछ समय भिगोकर बाद में हाथों से रगड़-रगड़कर उसका छिलका उतार देती हैं जिससे उसमें मौजूद पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा दाल को जिस पानी में भिगोएं, उसी में पकाएं।
दाल में तेज मिर्च-मसाले का प्रयोग न करें।
बनाने से पूर्व दालों को भली भांति साफ कर लें।
-दाल को यथासंभव कुकर में ही पकाएं। इससे इसकी पौष्टिकता बरकरार रहेगी।
दाल को स्वादिष्ट बनाने हेतु मिर्च-मसालों की बजाय पकने के बाद इसमें नींबू डाल सकते हैं। यह प्रोटीन को पचाने में भी सहायक है।
दाल में टिण्डा, घीया, पालक आदि सब्जियां डालने से इसकी पौष्टिकता और भी बढ़ जाती है।
बासी दाल कदापि न खाएं। यह सेहत के लिए नुकसानदायक होती है। अत: दाल उतनी ही बनाएं, जितनी आवश्यकता हो।
रात के बजाय दिन के समय दाल का सेवन करना श्रेयस्कर है। भारी दालें जैसे-मसूर की दाल, चने की दाल इत्यादि तो रात को कदापि न खाएं।
गाढ़ी दाल पचने में अधिक समय लगाती है। अत: जहां तक संभव हो सके, दाल को पतला ही रखें।
दाल को अधिक समय तक न रखें। यदि आप अधिक मात्रा में दाल मंगवा कर रखती हैं तो समयसमय पर उसे धूप लगवाती रहें। पुरानी दाल को बनाने से पूर्व देख लें कि कहीं उसमें घुन तो नहीं लग गया। अगर घुन लगा हो तो उसे इस्तेमाल में न लाएं।

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