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बढ़ते कार्डियक अरेस्ट से बचने के लिए युवाओं को करना होगा सही लाइफस्टाइल पर फोकस

नई दिल्ली: हाल के दिनों में कार्डियक अरेस्ट (दिल का दौरा) के मामलों में तेजी आई है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि ऐसे मामलों का सही समय पर पता कैसे लगाया जाए और उन्हें रोका कैसे जाए। भारत में और मैडीकल क्षेत्र में दिल की बीमारियों और गैर-संक्रामक रोगों के बढ़ते मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। इसके लिए भारत के युवाओं की जीवनशैली और स्वास्थ्य से जुड़ी आदतों में सुधार करने की आवश्यकता है। गैर-संक्रामक बीमारियों का बढ़ना, जैसे दिल की बीमारियां, स्ट्रोक, कैंसर, मधुमेह और फेफड़ों की बीमारियां मौतों का एक कारण हो सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, ऐसी बीमारियां दुनिया भर में 74} मौतों के लिए जिम्मेदार हैं। ये बीमारियां 21वीं सदी की सबसे चुनौतीपूर्ण जीवनशैली से जुड़ी समस्याएं मानी जाती हैं। इन गैर-संक्रामक बीमारियों में, दिल की बीमारियों के मामले तेजी से बढ़े हैं – 1990 में 25.7 मिलियन से बढ़कर 2023 में 64 मिलियन हो गए हैं।

यह आंकड़ा चौंकाने वाला है क्योंकि वल्र्ड हार्ट फैडरेशन के डाटा के अनुसार, भारत में दुनिया भर के कुल मधुमेह के मामलों का 15} हिस्सा है। इसके अलावा, 40-50} दिल से जुड़ी बीमारियां 55 साल से कम उम्र के लोगों में पाई जाती हैं। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, उम्मीद की जाती है कि समाज और युवा स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। लेकिन तेज-तर्रार जीवनशैली, डिजीटल आदतें, काम-काज व जिंदगी में संतुलन की कमी एक स्वस्थ जीवन के लिए अनुकूल माहौल नहीं देती हैं। निजी और पेशेवर लक्ष्यों को हासिल करने का दबाव, दोस्तों और समाज की उम्मीदें और खराब खानपान की आदतें लंबे समय तक तनाव और चिंता का कारण बनती हैं। इससे शरीर में कोर्टसिोल हार्मोन का उत्पादन बढ़ता है, जो दिल की बीमारियों को और बढ़ावा देता है।

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