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महिलाओं को दोपहर में पुरुषों के मुकाबले ज्‍यादा नींद क्‍यों आती है… जानिए इस बारें में क्या कहता है विज्ञान

 

मुंबई: ज्‍यादातर लोगों को दोपहर का खाना खाने के बाद सुस्‍ती आने लगती है। ऐसे में कई लोग ऑफिस में बैठे-बैठे झपकी भी लेने लगते हैं। वहीं, वैश्विक स्‍तर पर कुछ कंपनियां लंच के बाद अपने कर्मचारियों को ‘पावर नैप’ लेने का मौका भी देती हैं ताकि वे जागने पर फ्रेश फील करें। इससे उनकी कार्यक्षमता में इजाफा हो जाता है। इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को लंच के बाद नींद की जरूरत ज्‍यादा महसूस होती है. इसे ‘गर्ल नैप’ कहा जाता है।

लंच के बाद क्‍यों महसूस होती है ‘पावर नैप’ की जरूरत:
अमेरिका के नेशनल स्लीप फाउंडेशन के अध्ययनों में कहा गया है कि दिन में दो बार ऐसा समय आता है,जब लोगों की सतर्कता सबसे कम होती है। ये दो समय सुबह 2 से 7 बजे और दोपहर 2 से 5 बजे के बीच आते हैं। पहले समय तो ज्‍यादातर लोग गहरी नींद में खोए रहते हैं।

वहीं, दूसरा चरण सबसे ज्‍यादा मुश्किल होता है। इस दौरान आप जाग कर काम कर रहे होते हैं. दरअसल, दोपहर के भोजन के बाद हमारे शरीर में पाचन की क्रिया होती है. साथ ही रक्‍त में शुगर की मात्रा नियंत्रित रखने के लिए इंसुलिन रिलीज होता है। इससे ऊर्जा के स्तर में प्राकृतिक तौर पर गिरावट आती है. लिहाजा, लोगों को लंच के बाद आलस पैदा होता है और थोड़ी देर की नींद या पावर नैप की जरूरत महसूस होने लगती है।

महिलाओं को पावर नैप की ज्‍यादा जरूरत क्‍यों होती है:
लंच के बाद के आलस को ‘पोस्टप्रैंडियल डिप’ कहा जाता है. ये ब्‍लड शुगर के स्‍तर और शरीर की प्राकृतिक सर्कैडियन रिदम में गिरावट के कारण होता है। नींद को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार मेलाटोनिन जैसे हार्मोन भी इसमें बड़ी भूमिका निभाते हैं. ये सभी कारण भारी भोजन के साथ मिलकर दोपहर के समय झपकी लेने की इच्छा पैदा करते हैं।

हालांकि, महिलाओं के हार्मोनल उतार-चढ़ाव और खासतौर पर मासिक धर्म के दौरान इस थकान को बढ़ा सकते हैं।डॉक्‍टर्स के मुताबिक, शरीर में सेरोटोनिन की मात्रा प्रोटीन से बढ़ती है. इसीलिए पनीर, सोयाबीन और अंडे से बनी चीजें खाने पर नींद का अनुभव ज्‍यादा होता है. वहीं, कुछ लोगों को डायबिटीज, फूड एलर्जी, स्‍लीप एप्निया, एनीमिया, थायरॉइड या पाचन तंत्र की समस्‍या के कारण भी लंच के बाद नींद आ सकती है।

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