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77 साल बाद इस गांव में किसी छात्र ने पास की 10 वीं की परीक्षा… DM ने पूरे परिवार को किया सम्मानित

नेशनल डेस्क : उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के रामसनेहीघाट क्षेत्र के निजामपुर गांव में इतिहास रच गया है। आजादी के बाद पहली बार गांव के किसी छात्र ने हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की है। 15 वर्षीय रामकेवल नाम के इस छात्र ने माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश की हाईस्कूल परीक्षा में 55 प्रतिशत अंक.

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नेशनल डेस्क : उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के रामसनेहीघाट क्षेत्र के निजामपुर गांव में इतिहास रच गया है। आजादी के बाद पहली बार गांव के किसी छात्र ने हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की है। 15 वर्षीय रामकेवल नाम के इस छात्र ने माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश की हाईस्कूल परीक्षा में 55 प्रतिशत अंक हासिल कर पूरे गांव का नाम रोशन कर दिया है। आइए जानते है रामकेवल नाम के छात्र के संघर्ष के बारे में विस्तार से…

शिक्षा से वंचित गांव में जन्मी उम्मीद

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के बारबंकी जिले में स्थित निजामपुर गांव की आबादी करीब 300 लोगों की है और यहां के अधिकतर लोग दलित समुदाय से आते हैं। गांव शिक्षा के मामले में बेहद पिछड़ा रहा है और आजादी के 77 वर्षों के इतिहास में अब तक कोई भी छात्र हाईस्कूल पास नहीं कर पाया था। रामकेवल की यह उपलब्धि पूरे गांव के लिए प्रेरणा बन गई है।

मेहनत और संघर्ष से बनी सफलता की राह

दरअसल, रामकेवल का बचपन से पढ़ाई में रुचि थी, लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उसे कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उसने मजदूरी कर और शादी समारोहों में लाइट उठाने का काम कर पढ़ाई की लागत खुद उठाई। वह दिनभर मेहनत करता और रात में अपने छप्पर के नीचे सोलर लाइट की रोशनी में पढ़ाई करता था। तीन भाइयों में सबसे बड़ा होने के नाते उसे परिवार की जिम्मेदारियां भी निभानी पड़ीं।

जिला प्रशासन ने किया सम्मानित

वहीं रामकेवल की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर जिला प्रशासन ने उसे सम्मानित किया। जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने तीन मई को उसे और उसके माता-पिता को जिला मुख्यालय बुलाकर सम्मानित किया। साथ ही, रामकेवल की आगे की पढ़ाई की फीस माफ करने की घोषणा भी की गई।

गांव को मिला पहला रोल मॉडल

रामकेवल के पिता जगदीश मजदूरी करते हैं, जबकि मां पुष्पा एक प्राथमिक विद्यालय में खाना बनाती हैं। परिवार की सीमित आमदनी के बावजूद रामकेवल ने यह साबित कर दिया कि अगर हौसला हो, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती। गांव के लोग इस सफलता से बहुत खुश हैं और उन्हें उम्मीद है कि अब और भी बच्चे पढ़ाई की ओर प्रेरित होंगे।

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