सब्यसाची दास के बाद पी. बालाकृष्णन ने भी अशोक विश्वविद्यालय से दिया इस्तीफा

नई दिल्ली: अशोक विश्वविद्यालय के अर्थशा विभाग के दूसरे प्राध्यापक पुलाप्रे बालाकृष्णन ने सहायक प्रोफेसर सब्यसाची दास के इस्तीफे की स्वीकृति के विरोध में इस्तीफा दे दिया है, जिनके पेपर में 2019 के चुनावों में मतों में हेरफेर का सुझाव दिया गया था, जिससे विवाद खड़ा हो गया था।सूत्रों ने बताया कि बालाकृष्णन ने भी.

नई दिल्ली: अशोक विश्वविद्यालय के अर्थशा विभाग के दूसरे प्राध्यापक पुलाप्रे बालाकृष्णन ने सहायक प्रोफेसर सब्यसाची दास के इस्तीफे की स्वीकृति के विरोध में इस्तीफा दे दिया है, जिनके पेपर में 2019 के चुनावों में मतों में हेरफेर का सुझाव दिया गया था, जिससे विवाद खड़ा हो गया था।सूत्रों ने बताया कि बालाकृष्णन ने भी विश्वविद्यालय द्वारा दास का इस्तीफा स्वीकार किये जाने पर मंगलवार को अपना इस्तीफा दे दिया।

सूत्र ने बताया कि हालांकि, उनका इस्तीफा अभी तक विश्वविद्यालय द्वारा स्वीकार नहीं किया गया है।इससे पहले, विश्वविद्यालय के कुलपति सोमक रायचौधरी ने एक आधिकारिक बयान में कहा था : ‘‘दास अर्थशा विभाग में थे, इस समय अशोक विश्वविद्यालय से छुट्टी पर हैं और गोखले इंस्टीटय़ूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स (डीम्ड यूनिवर्सटिी, पुणो) में विजिटिंग फैकल्टी के रूप में कार्यरत हैं। उन्हें मनाने के व्यापक प्रयास करने के बाद विश्वविद्यालय ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।

भारतीय चुनावों पर दास का पेपर हाल ही में सोशल मीडिया पर साझा किए जाने के बाद व्यापक विवाद का विषय बना, जहां कई लोगों ने इसे विश्वविद्यालय के विचारों को प्रतिबिंबित करने वाला माना था।वीसी रायचौधरी ने आगे कहा कि अशोक विश्वविद्यालय में संकाय के सदस्यों को अपने द्वारा चुने गए क्षेत्रों में पढ़ाने और अनुसंधान करने की स्वतंत्रता है – विश्वविद्यालय अपने संकाय और छात्रों को वह प्रदान करता है जो वह मानता है कि देश में उच्च शिक्षा संस्थान में शैक्षणिक स्वतंत्रता के लिए सबसे सक्षम वातावरण है।वीसी ने एक विज्ञप्ति में कहा, ‘‘विश्वविद्यालय अपने संकाय और छात्रों द्वारा किए गए शोध को निर्देशित या मॉडरेट नहीं करता। यह शैक्षणिक स्वतंत्रता उन पर भी लागू होती है।’’

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