विज्ञापन

श्री केशव रामलीला कमेटी में देश के विभिन्न हिस्सों से आयें कलाकार देगें प्रस्तुति

दिल्ली के पीतमपुरा क्षेत्र के डीडीए ग्राउण्ड में श्री केशव रामलीला कमेटी द्वारा रामलीला का मंचन 15 से 24 अक्टूबर तक किया जाएगा।राम लीला में देश के विभिन्न हिस्सों से आयें आए कलाकार ने अपनी शानदार प्रस्तुति देगें। श्री केशव रामलीला कमेटी के अध्यक्ष अशोक गोयल देवराहा ने बताया कि रामलीला ने हमारी संस्कृति और.

- विज्ञापन -

दिल्ली के पीतमपुरा क्षेत्र के डीडीए ग्राउण्ड में श्री केशव रामलीला कमेटी द्वारा रामलीला का मंचन 15 से 24 अक्टूबर तक किया जाएगा।राम लीला में देश के विभिन्न हिस्सों से आयें आए कलाकार ने अपनी शानदार प्रस्तुति देगें।

श्री केशव रामलीला कमेटी के अध्यक्ष अशोक गोयल देवराहा ने बताया कि रामलीला ने हमारी संस्कृति और परम्पराओं को संजोकर रखा है। इन दिनों शहर से लेकर देहात तक अलग-अलग कमेटियों की ओर से रामलीला का मंचन किया जा रहा है। दिल्ली होने वाली कई रामलीलाओं का इतिहास काफी पुराना है। जैसे- जैसे समय बदल रहा है आयोजनों का स्वरूप भी बदल रहा है। पहले की तुलना में अब रामलीला काफी हाईटक हो गई है। पहले स्थानीय कलाकार अभिनय करते थे। अब इनका स्थान टीवी सीरियल और थियेटर करने वाले कलाकारों ने ले लिया है। पहले कलाकार बिना माइक और स्पिकरों के ही अभिनय किया करते थे। अब माइक्रो फोन का इस्तेमाल किया जाता है। हमारी राम लीला में भी दर्शको को थियेटर वाली फिलींग आयेगीं।हमने टेक्नोलॉजी का पूरा इस्तेमाल किया है जो आप का मन मोह लेगी।

अशोक गोयल देवराहा कहा कि श्रीराम का चरित्र परम पवित्र है। श्रीरामचरित मानस का मुख्य सारांश यही है कि हमें प्रभु श्री राम की तरह मर्यादित होकर अपने जीवन के उत्तरदायित्व को निभाना होगा। हमने रामलीला के मंचन की तैयारी पूरी कर ली है।

रामलीला का कार्यक्रम भारत में मनाये जाने वाले प्रमुख सांस्कृतिक कार्यक्रमों में से एक है। यह एक प्रकार का नाटक मंचन होता है, जो हिंदू धर्म के प्रमुख आराध्यों में से एक प्रभु श्रीराम के जीवन पर आधारित होता है। इसका आरंभ दशहरे से कुछ दिन पहले होता है और इसका अंत दशहरे के दिन रावण दहन के साथ होता है।

भारत के साथ थाईलैंड और बाली जैसे अन्य देशों में भी काफी धूम-धाम के साथ रामलीला कार्यक्रम का मंचन किया जाता है। मर्यादा पुरुषोत्तम के जीवन घटनाओं पर आधारित रामलीला के इस कार्यक्रम का इतिहास काफी प्राचीन है क्योंकि यह पर्व भारत में 11वीं शताब्दी से भी पहले से मनाया जा रहा है।

Latest News