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काशी विश्वनाथ का प्रतिरूप हैं प्रयाग के Baba Loknath, स्कंद पुराण के रेवा खण्ड में मिलता है वर्णन

महाकुम्भ नगर : सनातन संस्कृति और आस्था की प्राचीनतम नगरियों में से एक है प्रयागराज। पौराणिक मान्यता है कि समस्त तीर्थों के राजा होने कारण इन्हें तीर्थराज प्रयागराज कहा जाता है। प्रयागराज के मुख्य बाजार चौक के प्रसिद्ध मोहल्ले लोकनाथ का नाम यहां स्थापित Baba Loknath के नाम पर पड़ा है। माना जाता है कि.

महाकुम्भ नगर : सनातन संस्कृति और आस्था की प्राचीनतम नगरियों में से एक है प्रयागराज। पौराणिक मान्यता है कि समस्त तीर्थों के राजा होने कारण इन्हें तीर्थराज प्रयागराज कहा जाता है। प्रयागराज के मुख्य बाजार चौक के प्रसिद्ध मोहल्ले लोकनाथ का नाम यहां स्थापित Baba Loknath के नाम पर पड़ा है। माना जाता है कि प्रयाग के बाबा लोकनाथ काशी के बाबा विश्वनाथ का प्रतिरूप हैं। लोकनाथ महादेव की प्राचीनता के बारे में सही तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन यहां के पुजारी बताते हैं कि स्कंद पुराण के रेवा खण्ड और महाभारत के शांतिपर्व में बाबा लोकनाथ का वर्णन आता है। बाबा लोकनाथ के दर्शन और पूजन से समस्त सांसारिक कष्ट दूर होते हैं। महाकुम्भ के दौरान भगवान शिव के भक्त बड़ी संख्या में अपने आराध्य के दर्शन और पूजन के लिए यहां आने वाले हैं। तीर्थराज प्रयागराज का लोकनाथ मोहल्ला वैसे तो अपनी खाऊ गली की रबड़ी, मलाई, लस्सी, हरी के समोसों और भारती भवन लाइब्रेरी के लिए जाना जाता है लेकिन इस मोहल्ले का नाम पड़ा है बाबा लोकनाथ महादेव के नाम पर। बाबा लोकनाथ का मंदिर भारती भवन लाइब्रेरी के ठीक पीछे है। चार पीढ़ियों से बाबा लोकनाथ का पूजन कर रहे यहां के पुजारी गौरी शंकर पाण्डेय का कहना है कि बाबा लोकनाथ स्वयंभू शिवलिंग हैं।

वामदेव महादेव देव-देव सुरेश्वर:, लोकनाथ पाहि-पाहि प्राणनाथ कृपाकर
इनका वर्णन स्कंद पुराण के रेवा खण्ड में – ‘‘वामदेव महादेव देव-देव सुरेश्वर:, लोकनाथ पाहि-पाहि प्राणनाथ कृपाकर:।‘‘ के रूप में मिलता है। इसके अतिरिक्त महाभारत के शांति पर्व में भी प्रयाग के बाबा लोकनाथ का वर्णन आया है। सावन माह, प्रदोष और शिवरात्रि के दिन लोकनाथ महादेव का विशेष रूप से पूजन होता है। न केवल प्रयागराजवासी बल्कि दूर-दूर से संगम आने वाले श्रद्धालु लोकनाथ महादेव का दर्शन करने जरूर आते हैं। बाबा लोकनाथ के पुजारी गौरी शंकर ने बताया कि नाथ संप्रदाय के मछंदरनाथ या मत्स्येंद्रनाथ ने प्रचीनकाल में यहां चतुर्मास पूरा किया था। इस मंदिर में भगवान लोकनाथ के साथ उनकी सवारी नंदी महाराज, भगवान गणोश व भवानी स्वरूप माता पार्वती और शेषनाग की प्राचीन प्रतिमाएं हैं। इसके अतिरिक्त स्थानीय लोगों ने माता दुर्गा, हनुमान जी व अन्य देवी-देवताओं की मूर्तयिां भी स्थापित की है। उन्होंने बताया कि प्रयाग की प्रसिद्ध हस्तियां मदन मोहन मालवीय, छुन्नन गुरु, पं श्रीधर पाठक नियमित रूप से मंदिर आते थे। इसके अलावा प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गांधी और वी.पी. सिंह ने भी बाबा लोकनाथ का दर्शन और पूजन किया था। उन्होंने बताया कि शिवरात्रि के दिन निकलने वाली बाबा लोकनाथ की शिव बारात प्रयागराज की ऐतिहासिक शिव बारात है। इसके अलावा जनप्रिय नेता छुन्नगुरु के समय से होने वाली लोकनाथ चौराहे की होली खेलने और देखने दूर-दूर से लोग आते हैं।

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