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कैग ने पीएम जन आरोग्य में आईईसी योजना का क्रियान-वयन में कमियों को चिह्नित किया

नई दिल्ली: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट में इसके तहत सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) योजना के क्रियान्ज़्वयन में कमियों को उजागर किया है। एबी-पीएमजेएवाई माध्यमिक और तृतीयक देखभाल अस्पताल में भर्ती सेवाओं के लिए प्रति वर्ष प्रति परिवार 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य कवर प्रदान करता है। यह सेवा के बिंदु पर लाभार्थयिों को कैशलेस और पेपरलेस पहुंच प्रदान करता है।

एबी-पीएमजेएवाई पर कैग की ऑडिट रिपोर्ट हाल ही में संसद में पेश की गई। रिपोर्ट से पता चला कि 2018-21 के बीच, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) ने आईईसी गतिविधियों के लिए 64.07 करोड़ रुपये खर्च किए थे। ‘‘2018-19 से 2020-21 के दौरान एनएचए ने आईईसी गतिविधियों पर 64.07 करोड़ रुपये खर्च किये हैं। हालाँकि, एनएचए ने इन गतिविधियों के लिए कोई विशिष्ट बजट आवंटित नहीं किया था, जिसके अभाव में ऑडिट यह सत्यापित नहीं कर सका कि व्यय निर्धारित बजट सीमा के भीतर था या नहीं।

‘एनएचए ने एक व्यापक आईईसी योजना और केंद्रीय स्तर पर इसके क्रियान्ज़्वयन की स्थिति के बारे में कोई विवरण और रिकॉर्ड प्रदान नहीं किया। इन विवरणों और रिकॉर्डों की अनुपस्थिति में, ऑडिट यह सत्यापित नहीं कर सका कि आईईसी गतिविधियां केंद्रीय स्तर पर योजनाबद्ध तरीके से की गई थीं या नहीं।इसके अलवा कैसे और कितना नियोजित लक्ष्य हासिल किए गए।’’ इसमें कहा गया है कि ‘एनएचए ने केंद्रीय स्तर पर पूरे भारत के विभिन्न राज्यों में आईईसी गतिविधियों की निगरानी के लिए तंत्र का कोई विवरण नहीं दिया है‘।

‘ऑडिट यह सत्यापित नहीं कर सका कि एनएचए ने लाभार्थयिों के पंजीकरण और योजना के कवरेज को बढ़ाने के लिए लाभार्थयिों के बीच योजना के लाभों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए राज्यों में की जा रही आईईसी गतिविधियों की निगरानी की है या नहीं। ‘‘सात राज्यों – छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में – आईईसी सेल का गठन किया गया था। 12 राज्यों – आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मिजोरम, नागालैंड, पुडुचेरी, राजस्थान और त्रिपुरा में – आईईसी सेल का गठन नहीं किया गया था, जबकि शेष राज्यों के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं थी, ’’रिपोर्ट में कहा गया है।

इससे पता चला कि आंध्र प्रदेश, बिहार, चंडीगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश में, आईईसी गतिविधियों पर व्यय शून्य से 20.24 प्रतिशत तक था। 25 प्रतिशत के निर्धारित बेंचमार्क के विरुद्ध आवंटित बजट। ‘‘एनएचए को योजना के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए विशेष प्रयास करने और पात्र लाभार्थयिों को जागरूक करने की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि योजना के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए एसएचएएस (राज्य स्वास्थ्य एजेंसियों) द्वारा पर्याप्त खर्च किया जाए।’’

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