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संभल में 46 वर्ष बाद खुले मंदिर और कूप की कार्बन डेटिंग कराई जाएगी, हिंसा के बाद मिला मंदिर

संभल (उप्र): संभल में अतिक्रमण और बिजली चोरी के खिलाफ जारी अभियान के बीच जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने रविवार को कहा कि करीब 46 साल बाद खोले गए मंदिर और कूप की कार्बन डेटिंग के लिए भारतीय पुरातत्व सव्रेक्षण (एएसआई) को

संभल (उप्र): संभल में अतिक्रमण और बिजली चोरी के खिलाफ जारी अभियान के बीच जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने रविवार को कहा कि करीब 46 साल बाद खोले गए मंदिर और कूप की कार्बन डेटिंग के लिए भारतीय पुरातत्व सव्रेक्षण (एएसआई) को पत्र लिखा गया है। पेंसिया ने पत्रकारों को बताया, यह काíतक महादेव का मंदिर है और यहां एक कूप (कुआं) मिला है जो अमृत कूप है। मंदिर में पूजा भी शुरू हो गई है।

यहां पर अब भी अतिक्रमण है. शनिवार को कुछ अतिक्रमण हटाया गया और बचा हुआ अतिक्रमण भी हम हटाएंगे। हमने मंदिर और कूप की कार्बन डेटिंग के लिए एएसआई को पत्र लिखा है। इस बीच, पुलिस अधीक्षक (एसपी) कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया कि मंदिर की सुरक्षा की दृष्टि से पूरे क्षेत्र को सीसीटीवी से कवर किया गया है और यहीं पर कंट्रोल रूम भी बनाया जा रहा है जिससे यहां 24 घंटे सुरक्षा व्यवस्था बनी रहे और कोई अराजक तत्व यहां न आ सके।

वहीं, जिलाधिकारी ने कहा, हमने 1-2 तालाबों का भी सव्रेक्षण कराया है। वहां से भी अतिक्रमण हटाकर उन्हें सुरक्षित किया जाएगा। इससे पूर्व, जिला प्रशासन ने रविवार सुबह से ही अतिक्रमण हटाना शुरू कर दिया। इससे पूर्व, शनिवार को जिला प्रशासन द्वारा खुलवाए गए मंदिर में रविवार को विधि विधान और मंत्रोच्चार के बाद दर्शन और पूजा-अर्चना शुरू हो गई।

मंदिर के महंत आचार्य विनोद शुक्ला ने बताया कि फिलहाल लगभग 20 से 25 श्रद्धालुओं ने यहां आकर पूजा-अर्चना की और हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। शुक्ला ने कहा, मुङो इस मंदिर का सेवा का अधिकार मिला है, मैं नियमित रूप से इस कर्तव्य का निर्वहन करूंगा। यहां सुरक्षा व्यवस्था के बेहतर इंतजाम किए गए हैं।

1978 में मंदिर हो गया था बंद
संभल जिले के कोट गर्वी के निवासी मुकेश रस्तोगी ने कहा कि हमने हमारे पुरखों से इस मंदिर के बारे में काफी कुछ सुना था। यह एक प्राचीन मंदिर है, लेकिन यह लंबे समय से बंद था। चूंकि एक वर्ग विशेष समुदाय के लोग वहां रहते हैं, इस वजह से वह मंदिर बंद पड़ा था। उन्होंने कहा कि 1978 में संभल में हुए दंगों के बाद से यह मंदिर बंद रहा है। हमने सुना है कि यह कम से कम 500 साल पुराना होगा। नगर हिंदू महासभा के 82 वर्षीय विष्णु शंकर रस्तोगी ने कहा कि मैं अपने जन्म से ही खग्गू सराय में रहता हूं। वर्ष 1978 के दंगों के बाद हमारे समुदाय के लोगों को इस क्षेत्र से पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा। हमारे कुलगुरु को समर्पित यह मंदिर तब से बंद है।

संभल हिंसा के बाद मिला मंदिर
संभल में शाही जामा मस्जिद के सव्रेक्षण के दौरान हुई हिंसा में 4 लोगों की मौत की घटना के कुछ सप्ताह बाद, प्रशासन ने मुगलकालीन मस्जिद के आसपास के क्षेत्रों में अतिक्रमण और बिजली चोरी से निपटने के लिए अभियान शुरू किया है। खग्गू सराय जामा मस्जिद से सिर्फ एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

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