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प्रतियोगी परीक्षाओं में कदाचार रोकने वाला केंद्रीय कानून लागू

नई दिल्ली: केन्द्र सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं में कदाचार और अनियमितताओं पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से शुक्रवार को एक कड़ा कानून लागू किया। इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर अधिकतम 10 वर्ष की कैद और 1 करोड़ रुपए तक के अर्थदंड का प्रावधान है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुमरू ने लगभग 4 महीने पहले, लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक 2024 को मंजूरी दी थी। काíमक मंत्रलय ने शुक्रवार रात एक अधिसूचना जारी की, जिसमें कहा गया है कि इस कानून के प्रावधान 21 जून से लागू हो जाएंगे। यूजीसी-नैट 2024 परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक हो जाने को लेकर जारी विवाद के बीच, सरकार का यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

सीबीआई ने राष्ट्रीय परीक्षा एजैंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होने के मामले की जांच के लिए बृहस्पतिवार को मामला दर्ज किया था। अधिसूचना में कहा गया, ‘लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक 2024 की धारा 1 की उपधारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए, केंद्र सरकार 21 जून 2024 को उक्त अधिनियम लागू कर रही है।’ राज्यसभा में ‘लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक 2024 को नौ फरवरी को पारित किया गया था, वहीं लोकसभा में इसे 6 फरवरी को मंजूरी दी गई थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुमरू ने विधेयक को 12 फरवरी को मंजूरी दी और यह कानून अस्तित्व में आ गया।

इस कानून का उद्देश्य संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी), कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी), रेलवे, बैंकिंग भर्ती परीक्षाओं और राष्ट्रीय परीक्षा एजैंसी (एनटीए) आदि द्वारा आयोजित परीक्षाओं में अनुचित साधनों के प्रयोग को रोकना है। इसमें नकल पर रोकथाम के लिए न्यूनतम 3 साल से 5 साल तक के कारावास और इस तरह के संगठित अपराध में शामिल लोगों को 5 से 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है। कानून में, न्यूनतम 1 करोड़ रुपए के जुर्माने का भी प्रावधान है। इस कानून से पहले, परीक्षाओं के संचालन में शामिल विभिन्न एजेंसियों द्वारा कोई धांधली किए जाने या अपराध होने की स्थिति में, उससे निपटने के लिए कोई विशिष्ट कानून नहीं था।

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